Mumbai news, Bollywood news : हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में गीत-संगीत की दृष्टि से 60 और 70 के दशक में एक ऐसी गायिका का उदय हुआ, जिसने लता मंगेशकर की आवाज से अपनी आवाज मिला दी या मिल गई, यह कहा नहीं जा सकता। लेकिन, आज भी अगर उस गायिका के गाए किसी गीत को आप सुनें, तो यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा कि यह गीत लता मंगेशकर को छोड़कर कोई और नहीं गा सकता। जी हां, आज हम बात कर रहे हैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की गायिका सुमन कल्याणपुर की। अपने जीवन के 80 से अधिक बसंत देख चुकीं सुमन कल्याणपुर के बारे में कम लोगों को याद होगा, लेकिन याद कीजिए जब-जब फूल खिले फिल्म का वह गीत- ना-ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे, करना था इनकार, मगर इकरार तुम्ही से कर बैठे। इस गीत को सुमन कल्याणपुर ने गया था मोहम्मद रफी के साथ। मगर अभी भी बहुत से लोग जानते हैं कि इस गीत को लता मंगेशकर ने ही गया था।
17 साल की उम्र में 1954 में गाया पहला गाना
जानकारी के अनुसार, सुमन कल्याणपुर का बचपन से ही म्यूजिक और पेंटिंग में झुकाव दिख रहा था। इसलिए माता-पिता ने उन्हें आगे बढ़ने दिया। बाद में संगीत के प्रति उनका स्वाभाविक झुकाव हुआ। सुमन ने उस्ताद खान, अब्दुल रहमान खान और गुरुजी मास्टर नवरंग जैसे दिग्गजों से भी संगीत की बारिकियों को सीखा। 1954 में ‘मंगू’ फिल्म के गीत ‘कोई पुकारे धीरे से तुझे’ से सुमन कल्याणपुर की हिंदी फिल्मों का सफर शुरू हुआ। इसी साल फिल्म ‘दरवाज़ा’ में सुमन ने तलत महमूद के साथ अपना पहला डुएट गाया। बाद में सुमन कल्याणपुर ने हिंदी, मराठी फिल्मों में हज़ार के आस-पास गाने गाए। हिंदी, मराठी के अलावा गुजराती, मैथिली, तमिल, भोजपुरी, पंजाबी जैसी कई भाषाओं में भी गाने गाए। उनके गाए ‘ना ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे’, ‘दिल ने फिर याद किया’, ‘चांद तकता है इधर’ जैसे ढेरों सदाबहार गीत संगीत प्रेमियों के दिल में आज भी बसे हुए हैं।
पसंद नहीं करती थीं लता
भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में 1950 और 60 का दशक मुकेश मोहम्मद रफ़ी और किशोर कुमार की जादुई आवाज से गूंज रहा था। महिला गायिकाओं में लता मंगेशकर टॉप पर थे उनके पास समय काम था कम पैसे में गीत गाती थीं। इसलिए गवाने वालों की लाइन लगी रहती थी। ऐसी स्थिति में सुमन कल्याणपुर का फिल्म इंडस्ट्री में आना और अपना मुकाम हासिल करना वाकई बड़ी उपलब्धि है। लता मंगेशकर की आवाज के साथ समानता होना सुमन कल्याणपुर के लिए नुकसानदेह भी रहा। उनके करियर को वो ऊंचाई नहीं मिली, जो मिलनी चाहिए थी। 2010 में महाराष्ट्र सरकार ने सुमन कल्याणपुर जी को लता मंगेशकर अवार्ड से नवाजा।
रफी के साथ गए 140 गाने
कहा जाता है कि ये बात लता जी को बिल्कुल पसंद नहीं आती थी कि कोई उनकी आवाज़ की नकल करे। कहते हैं कि उन्होंने कई प्रड्यूसर्स से कह भी दिया था अगर वो सुमन के साथ काम करेंगे, तो वो उनके साथ काम नहीं करे सकेंगी। इसके बावजूद सुमन कल्याणपुर को अच्छी संख्या में गीत गाने के मौके मिले और उन्होंने मोहम्मद रफी के साथ लगभग 140 गाने गए जो आज भी याद किए जाते हैं।