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🗓️ Mon, Apr 7, 2025 🕒 6:06 AM

देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए, दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए, फिर भी…

देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए, दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए, फिर भी…

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Mumbai news : आपने 70-80 के दशक में जंजीर, दीवार, त्रिशूल, शोले, शान और डॉन जैसी फ़िल्में देखी होगी। इन फिल्मों का स्क्रीन प्ले और डायलॉग राइटिंग सलीम खान और जावेद अख्तर ने मिलकर लिखे थे। इन दोनों डायलॉग राइटर ने अपने जमाने में फिल्मी दुनिया में लेखक की गरिमा को खूब बढ़ाया। अपनी फीस भी इतनी कर दी की निर्माता निर्देशक समझ गए कि उनके महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह सही है कि बाद में यह दोनों अलग हो गए और कई अलग-अलग फिल्मों पर भी काम किया। लेकिन, आज भी देखें तो जावेद अख्तर सलीम खान से अधिक सक्रिय हैं और देश- दुनिया की समस्याओं पर खुलकर बात करते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय में उन्होंने कन्हैया कुमार के लिए प्रचार भी किया था। उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी रहने का मौका मिला है और अपने इस जिम्मेदारी को भी उन्होंने सलीके से पूरा किया है।

भीतर से बोलता है एक आला शायर भी

शायद सभी लोग नहीं जानते होंगे कि जावेद अख्तर एक डायलॉग राइटर ही नहीं, बल्कि आला दर्जे के शायर भी रहे हैं। फिल्मों में गीत भी लिखा है। 1982 में आई यश चोपड़ा की फिल्म सिलसिला में उन्होंने गीत लिखा था, जिसका संगीत शिव हरी ने दिया था। यह गीत बहुत चर्चित हुआ था, भले फिल्म बहुत हिट नहीं हुई थी। यह गीत था-  देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए। यह गीत फिल्म में अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माया गया था। जिंदगी में प्यार के महत्व और शादी की स्थिति का चित्रण इस फिल्म में किया गया है और निजी जीवन में सभी जानते हैं कि जावेद अख्तर ने दो शादियां की। आज भी शबाना आजमी उनकी पत्नी हैं।

पत्नी के साथ रिश्ता और शादी की परंपरा

शबाना और अपने रिश्ते को लेकर भी वह बेलाग लपेट जो कहना होता है कहते हैं और इसी क्रम में समाज में शादी-विवाह की परंपरा और उसकी वर्तमान स्थिति पर भी गौर करने लायक टिप्पणी करते हैं। हाल में ही दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि शादी करना बेकार है। यह काई और गंदगी है। सदियों की यह ऐसी परंपरा है, जिसने सबको बर्बाद कर दिया है। यह एक ऐसा पत्थर है, जिसे सदियों से पहाड़ों से लुढ़काया जाता रहा है। शबाना के साथ अपनी शादी के बारे में बात करते हुए कहा कि वह विवाह संस्था को ज्यादा महत्व नहीं देते हैं। आपसी सम्मान किसी भी रिश्ते की बुनियाद है। जावेद ने बताया कि वह और शबाना एक पारंपरिक विवाहित जोड़े की तुलना में दोस्त ज्यादा हैं।

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