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अगर कुंडली में गुरु-चांडाल योग बन गया तो बहुत परेशानी है भाई, जानिए कैसे…

अगर कुंडली में गुरु-चांडाल योग बन गया तो बहुत परेशानी है भाई, जानिए कैसे…

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Jyotish Shastra : यदि आप ज्योतिष शास्त्र में विश्वास रखते हैं, तो जीवन में ग्रहों के प्रभाव को समझना जरूरी है। जीवन की किस परिस्थिति में ग्रहों का क्या असर होता है और अगर उससे परेशानी होती है, तो उससे निजात की क्या विधि है, यह समझना परेशानियों को दूर करने का रास्ता है। व्यक्ति की कुंडली देखकर ही ज्योतिषाचार्य इस स्थिति का विश्लेषण करते हैं और परेशानियों की निजात बताते हैं।

गुरु के रूप में जाना जाता है बृहस्पति ग्रह

ज्योतिर्विज्ञान के जानकारी कहते हैं कि ग्रह बृहस्पति को गुरु के रूप में जाना जाता है। चांडाल शब्द का अर्थ एक व्यक्ति है, जो बहिष्कृत है और योग का अर्थ है संघ या जुड़ना। अगर किसी की कुंडली में राहु या केतु बृहस्पति के साथ स्थित हैं या गुरु का राहु या केतु के साथ दृष्टि संबंध है तो कुंडली में गुरु चांडाल योग बनता है। इसके कारण व्यक्ति के जीवन में परेशानियां आती हैं। ऐसा व्यक्ति अनैतिक या अवैध गतिविधियों में शामिल हो सकता है।

पहले भाव की चर्चा का असर और निदान

कुंडली के अलग-अलग भाव होते हैं। आज हम पहले भाव की चर्चा कर रहे हैं। कुंडली के पहले भाव में गुरु और राहु एक साथ बैठे होते हैं, तो जातक संदिग्ध चरित्र वाला होता है। वह गलत तरीकों से धन अर्जित करने की कोशिश करता है।

हम जानते हैं कि जीवन में तरक्की पाने के लिए जन्म कुंडली बेहद कारगर साबित होती है। कुंडली के प्रथम भाव में चांडाल दोष के बनने से रोकने के कई तरीके बताए गए हैं।

इस तरह बच्चे चांडाल दोष से…

1.जातक को गुरु और राहु को शांत करने के लिए शांतिपाठ करवाना चाहिए।

2.इसके अलावा अपने माता-पिता, शिक्षक और वृद्ध लोगों की सेवा करनी चाहिए।

 3.भगवान विष्णु की पूजा करने से और विष्णु सहस्रनाम का जाप करने से गुरु चांडाल योग के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।

4. मुखी रुद्राक्ष धारण करें। इससे राहु, केतु और गुरु की नकारात्मकता को दूर करने में मदद मिल सकती है।

5.भगवान गणेश की नियमित रूप से पूजा कर सकते हैं।

6. पीला नीलम धारण सकता है। ऐसा करने से पहले किसी ज्योतिषी से सलाह लें।

7. बृहस्पति मंत्र ओम ब्रम् ब्रीं ब्रौं सः गुरवे नमः का नियमित रूप से ध्यान और जप करें। इससे परेशानियों से निजात मिल सकती है।

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