Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

कोई गर यकीन तोड़े, तो उसका भी शुक्रिया अदा कीजिए”

कोई गर यकीन तोड़े, तो उसका भी शुक्रिया अदा कीजिए”

Share this:

राजीव थेपड़ा 

किसी मित्र की ऊपर लिखी इस बात को पढ़ते हुए मैंने इसे गहराई तक अनुभव किया है। हममें से प्रत्येक के जीवन में बहुतों बार बहुत लोगों द्वारा विश्वास टूटता है। बहुत से लोग हमारे साथ गलत करते हैं।…और, लोग लोगों के साथ गलत करते हैं और अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए किया जा रहे उस विश्वासघात का कुल परिणाम ओवरऑल क्या निकलेगा, इस विषय के बारे में कभी कोई नहीं सोचता। विश्वासघात का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह होता है कि मनुष्य मनुष्य पर विश्वास करना छोड़ता चला जाता है । 
एक बच्चा जब छोटा होता है, तो विश्वास से भरा हुआ होता है। लेकिन, धीरे-धीरे संसार के लोगों द्वारा किये जा रहे बहुत से कार्य उसके विश्वास को धूल-धूसरित करते चलते हैं और इस प्रकार उसका कोमल मन बार-बार इन सब बातों से आहत हो हो कर कठोर होता चला जाता है और प्रौढ़ अवस्था तक आते-आते वह इतना कठोर हो जाता है कि उसका किसी पर विश्वास करने का मन ही नहीं होता। क्योंकि, इसी विश्वास के कारण उसने अपने जीवन में इतनी सारी चोटें खायी होती हैं कि इसके बारे में वह किसी से चर्चा भी नहीं कर पाता। लेकिन, फिर भी कभी-कभार किसी न किसी के साथ उन बातों पर चर्चाएं तो होती ही हैं और बहुत लोगों द्वारा अपने साथ हुए बहुत लोगों के विश्वासघात के कारण जो उनके हृदय की स्थिति हुई और तरह-तरह के घात-प्रतिघात के चलते उनके अंतस्थल में कितनी चोट पहुंची, कितनी चुभन हुई और ह्रदय फट-सा गया ! ये बातें वे चाहकर भी ठीक से परिभाषित नहीं कर पाते !


किसी भी प्रकार का विश्वासघात संसार की सबसे खतरनाक चीज है, जो किसी बंदूक की गोली से भी ज्यादा खतरनाक है! क्योंकि विश्वास दिल का, हृदय का वह कोमल तन्तु है, जिसके चलते हम मनुष्य मनुष्य बने रहते हैं और जिसकी अनुपस्थिति में हम पत्थर बन जायेंगे ! किन्तु, तरह-तरह के स्वार्थ से लिपटे हुए तरह-तरह के लोग ऐसा करने से बाज नहीं आते और बार-बार मानवता को वह सब कुछ भुगतना पड़ता है, जिसे वह स्वयं तो भुगतना नहीं चाहती, लेकिन उसे वह किसी ने किसी द्वारा भुगतना ही पड़ता है ! 
किन्तु, अगर हम इसके आगे बढ़ कर देखें, तो हम यह भी पाते हैं कि चाहे हमारे साथ कितना भी विश्वासघात क्यों नहीं हो। कितने भी धोखे क्यों नहीं हो। लेकिन, उसके बाद भी हमारे पास किसी अन्य व्यक्ति के मिलने पर उस पर विश्वास करने के अलावा कोई और चारा भी है क्या ?  हमारे जीवन में आनेवाला हर नया व्यक्ति अपने आप में एक नयी सम्भावना है और अपने साथ हुए पुराने घात-प्रतिघात के कारण उस नये व्यक्ति के प्रति किसी भी प्रकार का गलत विचार लाना भी तो एक तरह से उसके साथ भी विश्वासघात ही होगा ! क्योंकि, किसी को बिना जाने-समझे हम किसी के कहने-सुनने भर से भी किसी भी प्रकार का जजमेंट नहीं ले सकते हैं। या जजमेंटल नहीं हो सकते हैं ! 
…तो, लाख अविश्वास की बातें हों। लाख धोखे और घात प्रतिघात होते हों, लेकिन जब भी कोई नया व्यक्ति हमारे जीवन में आता है, तो वह एक बार फिर विश्वास ही लेकर आता है। इस प्रकार संसार में हजार व्यक्ति से विश्वासघात अथवा धोखा खाने के बावजूद हम एक हजारवें एक व्यक्ति से पर विश्वास करना नहीं छोड़ सकते। क्योंकि, विश्वास ही मनुष्यता की नींव है, क्योंकि विश्वास से ही जीवन चलता है…क्योंकि, दरअसल विश्वास ही जीवन है..क्योंकि, विश्वास से ही प्रेम है और जैसा कि हम जानते हैं, प्रेम ही जीवन है ! …तो, किसी भी स्थिति में हमें अपने भीतर से यह प्रेम नहीं खोने देना है और किसी के ऊपर अपने विश्वास को बनाये रखने का पूरा यत्न करना है। 


क्योंकि एक बार यदि हमने मानवता से विश्वास खो दिया, तो फिर मानवता पर अपने आप पर गर्व करने लायक कुछ भी ना बचेगा और यूं कहें कि मानवता फिर जीने लायक भी नहीं बचेगी ! हमें चेष्टा करनी चाहिए कि हम सम्पूर्ण अर्थों में अपने आप को मानव बनाये रखने का यत्न करें और इसके लिए अपने जीने में अपना समूचा प्रेम, समूचा समर्पण, समूचा विश्वास उड़ेल कर ही जीवन जिएं और मुझे आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि मनुष्य ऐसा कर सकता है। क्योंकि, मनुष्य ही ऐसा कर सकता है…क्योंकि, मनुष्य में ही देव होने की प्रतीति सम्भव दिखती है! 

Share this: