New Delhi News: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के हाल ही में दिये गये विवादित बयान को लेकर सियासत गरमा गयी है। सुप्रीम कोर्ट ने जहां तीन दिन पहले न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के विवादित भाषण पर संज्ञान लिया है, वहीं आज राज्यसभा के 55 सांसदों ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है।
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल के नेतृत्व में सांसदों ने न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के बारे में उनकी हालिया टिप्पणियों को लेकर राज्यसभा महासचिव के समक्ष महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है। 55 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित इस प्रस्ताव पर संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान विचार किये जाने की उम्मीद है।
“न्यायमूर्ति यादव ने टिप्पणियों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ पक्षपात और पूर्वाग्रह प्रदर्शित किया है“
इसमें आरोप लगाया गया है कि न्यायमूर्ति यादव द्वारा दिया गया भाषण प्रथम दृष्टया नफरत फैलानेवाला भाषण है और साम्प्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा देता है, जो देश के संविधान का उल्लंघन है। प्रस्ताव में आगे दावा किया गया है कि न्यायमूर्ति यादव ने अपनी टिप्पणियों के माध्यम से अल्पसंख्यकों के खिलाफ पक्षपात और पूर्वाग्रह प्रदर्शित किया है, विशेष रूप से इन समुदायों को निशाना बनाया है।
इसके अतिरिक्त यह दावा किया गया है कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से संबंधित राजनीतिक मामलों पर सार्वजनिक रूप से विचार व्यक्त करके न्यायमूर्ति यादव ने न्यायिक जीवन के मूल्यों के पुनर्कथन, 1997 का उल्लंघन किया है।
महाभियोग प्रस्ताव के माध्यम से सांसदों ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से अनुरोध किया है कि वह न्यायाधीश (जांच) अधिनियम 1968 के अनुसार घृणा फैलाने वाले भाषण, सांप्रदायिक विद्वेष और न्यायिक नैतिकता के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने और आरोप सिद्ध होने पर न्यायमूर्ति यादव को पद से हटाने के लिए उचित कार्यवाही शुरू करने के लिए भारत के राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजें।
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमने इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए राज्यसभा महासचिव को नोटिस दी है। उन्होंने 09 दिसम्बर को उच्च न्यायालय परिसर में भड़काऊ भाषण दिया था। हमारा मानना है कि न्यायाधीश को उस पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें हटाया जाना चाहिए। हमने न्यायाधीश को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश किया है। यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि संविधान और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा का मुद्दा है। हम प्रधानमंत्री मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से संविधान की रक्षा में हमारे साथ शामिल होने का आग्रह करते हैं। सुप्रीम कोर्ट को भी न्यायाधीश को हटाने का आदेश देना चाहिए और प्रस्ताव पर निर्णय होने तक उन्हें कोई काम नहीं सौंपा जाना चाहिए। 55 सांसदों ने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं।”
“न्यायमूर्ति यादव की विवादास्पद टिप्पणी विहिप के कानूनी प्रकोष्ठ के एक कार्यक्रम में की गयी थी“
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति यादव की विवादास्पद टिप्पणी हाल ही में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के कानूनी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाषण के दौरान की गयी थी। न्यायाधीश ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ विवादास्पद बयान दिया था और कहा था कि भारत बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा के अनुसार काम करेगा। उन्होंने “कठमुल्ला” शब्द का भी इस्तेमाल किया, जिसका इस्तेमाल मुसलमानों के खिलाफ एक अभद्र टिप्पणी के रूप में किया जाता है।
विवादास्पद टिप्पणी करके सुर्खियों में आये इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव को बहरहाल अहम मामलों की सुनवाई से हटा दिया गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 दिसम्बर से शुरू होनेवाले नये रोस्टर के अनुसार जस्टिस शेखर कुमार यादव अब निचली अदालत से आनेवाले मामलों और 2010 से पहले अदालत में आये मामलों की ही सुनवाई करेंगे। जस्टिस शेखर यादव पहले बलात्कार जैसे संवेदनशील मामलों की भी सुनवाई करते थे, जिस पर अब रोक लगा दी गयी है। उनके विवादास्पद बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया में आये जस्टिस शेखर यादव के बयानों का स्वत: संज्ञान लिया था