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इमरान प्रतापगढ़ी ने महंगाई पर सरकार को संसद में घेरा

इमरान प्रतापगढ़ी ने महंगाई पर सरकार को संसद में घेरा

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New Delhi news : राज्यसभा में गुरुवार को केन्द्रीय बजट 2025-26 पर सामान्य चर्चा के दौरान कांग्रेस सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने संसद में पेश बजट प्रावधानों को नाकाफी बताते हुए वित्त मंत्री से अल्पसंख्यकों के बजट, मनरेगा, युवाओं के लिए रोजगार और किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जाने की मांग की। उन्होंने महंगाई का मुद्दा उठाते हुए दूध, पेट्रोल सहित रोजमर्रा के लिए जरूरी चीजों के बढ़ते दामों को लेकर कहा कि इतनी महंगाई से सरकार आखिर किसका संतुष्टीकरण कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार अंत्येष्टि में इस्तेमाल होनेवाले सामान पर भी टैक्स लगा रही है।

इमरान प्रतापगढ़ी ने सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’ की कविता, “एक आदमी/रोटी बेलता है/एक आदमी रोटी खाता है/एक तीसरा आदमी भी है/जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है/वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है/मैं पूछता हूं, यह तीसरा आदमी कौन है ? मेरे देश की संसद मौन है’… की कविता से अपने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि एक दौर में जब संसद में देश का बजट पेश होता था, तो देश की सड़कें ठहर जाया करती थीं। रेल बजट पेश होता था, तो लोगों की उम्मीदें रेल के डिब्बों की तरह पटरियों पर दौड़ने लगती थीं। पूरा देश धड़कनें रोक कर रेल मंत्री और वित्त मंत्री को सुना करता था। अफसोस अब बजट पेश हो जाता है, तो मीडिया सरकार का महिमामंडन करती है, फिर महीनों बाद जनता को समझ आता है कि उसे कुछ नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि पहले यह सरकार अमृतकालीन बजट पेश करती थी, अब इसे तुष्टीकरण बनाम संतुष्टीकरण का बजट बताया जा रहा है। जिस बजट को मिडिल क्लास का बताया जा रहा है, उसमें मनरेगा के लिए एक रुपये की बढ़ोतरी नहीं हुई। उसी बजट को पेश करते वक्त वित्त मंत्री महंगाई का ‘म’ तक नहीं बोल पायीं। जिस मनरेगा से करोड़ों लोगों के घरों में चूल्हा जलता हो, उसके लिए एक रुपये की बढ़ोतरी न हुई हो, वही पुराना 86 हजार करोड़, जबकि पहले ही 9754 करोड़ रुपये का घाटा हो। अगर उस मनरेगा के लिए आपके खजाने से एक भी रुपया नहीं दिया गया, तो भला कौन संतुष्ट हुआ?

महाराष्ट्र में 103 रुपये लीटर पेट्रोल रेट होने की बात कहते हुए इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि यह सरकार खुद को मिडिल क्लास का हितैषी बताती है। इस सरकार का बाजार, महंगाई पर कोई कंट्रोल नहीं है। ये सरकार बच्चों की किताब और पेंसिल तक पर टैक्स लेती है। ये सरकार दही-मक्खन तक पर जीएसटी लगाती है। ये सरकार अंतिम संस्कार के सामान अगरबत्ती, धूप बत्ती, केवड़ा जल, चंदन, काला तिल, कपूर और कफन तक पर टैक्स वसूलती है।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि 18 अगस्त 2015 को आरा (बिहार) के ऐतिहासिक मैदान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाषण किया था। उसमें उन्होंने बिहार के लिए सवा लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की बात कही थी। दस साल हो गये, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात ही हैं। आज भी जब कोशी में बाढ़ आती है, तो सीमांचल बर्बाद हो जाता है। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का किसनगंज सेंटर बजट के अभाव में दम तोड़ता जा रहा है। वित्त मंत्री उसके लिए कुछ कीजिए।

उन्होंने कहा कि देश के बुनकरों के लिए कोई उम्मीद बजट में नजर नहीं आती है। मुरादाबाद का पीतल उद्योग, फिरोजाबाद का चूड़ी उद्योग, कानपुर का चमड़ा उद्योग और सहारनपुर का लकड़ी उद्योग सरकारी नीतियों से तबाह हो रहे हैं। जिस देश में 40-45 प्रतिशत मेडिकल फैकल्टी की सीट खाली हो, वहां बजट में 75 हजार मेडिकल की नयी सीट का एलान किया जा रहा है। फिलहाल, एम्स में 2161 पद खाली पड़े हैं, उन्हें तो पहले भर लीजिए।

इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट काट दिया गया, मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप, प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप, नयी मंजिल योजना और धरोहर योजना बंद कर दी गयी। यह सरकार अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट काटते-काटते, इस मंत्रालय को ही काट देना चाहती है। इसलिए मैं पूछना चाहता हूं कि इस बजट से देश का अल्पसंख्यक संतुष्ट हुआ या सरकार संतुष्ट हुई।

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