Rajasthan news : हिंदू धर्म में मां दुर्गा की आराधना का अपना महत्व होता है। नवरात्र के समय इसका महत्व अधिक होता है। हम उसे समय देश के तमाम मंदिरों की विशेषताओं की चर्चा करते हैं। कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जहां की विशेषता नवरात्र में ही नहीं, हर समय मान्य है और लोग वहां जाकर मां दुर्गा की आराधना कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसे मंदिरों में राजस्थान के बांसवाड़ा का दुर्गा मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है।
त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ मंदिर
त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीठ मंदिर, बांसवाड़ा दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल जिले बांसवाड़ा में 52 शक्तिपीठों में से एक सिद्ध माता श्री त्रिपुर सुंदरी का शक्तिपीठ मंदिर है। मान्यता है कि मंदिर में मांगी गई मन्नतें देवी पूरी करती हैं। यही कारण है कि आम लोगों से लेकर नेता तक मां के दरबार में पहुंचते हैं और हाजिरी लगाते हैं।
अरावली पर्वत में है यह मंदिर
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से 18 किमी दूर तलवाड़ा गांव में अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य माता त्रिपुरा सुंदरी का भव्य मंदिर है। मुख्य मंदिर के दरवाजे चांदी के बने हैं। मां भगवती त्रिपुर सुंदरी की मूर्ति अष्टादश यानी 18 भुजाओं वाली है। मूर्ति में देवी दुर्गा के 9 रूपों की प्रतिकृतियां हैं। मां सिंह, मयूर और कमल आसन पर बैठी हैं। नवरात्र के दौरान त्रिपुर सुंदरी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जिससे मेले जैसा माहौल बन जाता है।
पूर्व पीएम वाजपेई और वर्तमान पीएम मोदी भी गए हैं इस मंदिर में
इस मंदिर का महत्व इस रूप में देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व सीएम हरिदेव जोशी, सीएम अशोक गहलोत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे शाहिद सभी राजनीतिक दलों के बड़े नेता इस मंदिर में देवी माता के दर्शन कर चुके हैं।
सम्राट कनिष्क के समय का शिवलिंग
अगर आप वहां जाकर दर्शन करें तो आपको पता चलेगा कि इस मंदिर के उत्तरी भाग में सम्राट कनिष्क के समय का एक शिवलिंग है। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान कनिष्क पूर्व काल से ही प्रसिद्ध रहा होगा। कुछ विद्वान यहां देवी मां के शक्तिपीठ का अस्तित्व तीसरी शताब्दी से पहले का मानते हैं। उनका कहना है कि पहले यहां ‘गढ़पोली’ नामक ऐतिहासिक नगर था। ‘गढ़पोली’ का अर्थ है-दुर्गापुर। ऐसा माना जाता है कि गुजरात, मालवा और मारवाड़ के शासक त्रिपुर सुंदरी के उपासक थे। मां की उपासना से वे अपने राज्य और राज्य की जनता की रक्षा करते थे।