New Delhi News: देश में गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है। अभी से उत्तर भारत में पारा 35 से 40 डिग्री छूने लगा है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दिनों में गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा। इस बीच हीट वेब की सम्भावना को देखते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने गुरुवार को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को पत्र लिख कर दिशा-निर्देश जारी किये हैं। उन्होंने राज्यों को आवश्यक दवाओं, तरल पदार्थ, आइस पैक, ओआरएस और सभी जरूरी उपकरणों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता के लिए स्वास्थ्य सुविधा की तैयारियों की समीक्षा करने को कहा है।
गुरुवार को राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव, सलाहकारों को लिखे पत्र में स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि 01 मार्च 2025 से दैनिक निगरानी के माध्यम से सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए हीटस्ट्रोक के नैदानिक निदान पर मरीजों की जानकारी एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (आईएचआईपी) पर जमा की जा रही है।
“जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर वर्चुअल मोड में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये गये“
श्रीवास्तव ने कहा कि इस सम्बन्ध में हाल ही में जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम द्वारा वर्चुअल मोड में प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये गये हैं। उन्होंने सभी राज्यों को सलाह दी कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र द्वारा तैयार किये गये ट्रेनिंग मैनुअल के साथ संबंधित स्वास्थ्य पेशेवरों को मौजूदा पी-फॉर्म स्तर के क्रेडेंशियल्स का उपयोग करके आईएचआईपी पर रिपोर्ट करने के लिए प्रशिक्षित करना सुनिश्चित करना चाहिए। पत्र में सचिव ने कहा कि मौसम विभाग द्वारा जारी किये जानेवाले दैनिक हीट अलर्ट एनसीडीसी द्वारा राज्यों के साथ साझा किये जाते हैं। इन अलर्ट में अगले 3-4 दिनों के लिए हीट वेव के पूवार्नुमान शामिल होते हैं और इन्हें सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में तुरंत प्रसारित किया जा सकता है। राज्य, जिला और शहर के स्वास्थ्य विभाग हीट-हेल्थ एक्शन प्लान के कार्यान्वयन को सुनिश्चित कर सकते हैं और अन्य प्रतिक्रिया एजेंसियों के साथ हीट के प्रति प्रतिक्रिया की योजना बनाने, प्रबंधन और आकलन करने में सहायता कर सकते हैं।
गर्मी से होने वाली बीमारियों की प्रारम्भिक पहचान और प्रबंधन के बारे में निर्देश
मंत्रालय ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण नैदानिक प्रबंधन और निगरानी रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के लिए आपके राज्य एव केन्द्र शासित प्रदेशों के चिकित्सकों, बाल रोग विशेषज्ञों, चिकित्सा अधिकारियों और सम्बन्धित सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को इन सत्रों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसके साथ स्वास्थ्य विभागों को गर्मी से होने वाली बीमारियों, इसकी प्रारम्भिक पहचान और प्रबंधन के बारे में चिकित्सा अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को संवेदनशील बनाने और उनकी क्षमता निर्माण के लिए प्रयास जारी रखने चाहिए।