New Delhi news : भारत और मलेशिया ने आधिकारिक स्तर की पहली सुरक्षा वार्ता में आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने के लिए सहमति जतायी है। यहां मंगलवार को सुरक्षा वार्ता की सह-अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और मलेशिया की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महानिदेशक राजा दातो नुशीरवान बिन जैनल आबिदीन ने की।विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि सुरक्षा वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा वातावरण पर विचारों का आदान-प्रदान किया और सुरक्षा, रक्षा और समुद्री क्षेत्रों में चल रहे द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की। दोनों पक्ष आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने, साइबर सुरक्षा, रक्षा उद्योग और समुद्री सुरक्षा में सहयोग को बढ़ाने पर सहमत हुए। उन्होंने महत्त्वपूर्ण खनिजों और दुर्लभ पृथ्वी में सहयोग बढ़ाने के तरीकों की भी खोज की। वार्षिक बैठकें आयोजित करके वार्ता को संस्थागत बनाने पर सहमति बनी।
दरअसल, यह सुरक्षा वार्ता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर अगस्त 2024 में मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर इब्राहिम की भारत यात्रा का परिणाम है। इस यात्रा के दौरान भारत-मलेशिया द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया तथा दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त में मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर इब्राहिम पहली बार भारत यात्रा पर आये थे। उस समय जब वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नयी दिल्ली में मिले थे, तब उन्होंने द्विपक्षीय सम्बन्धों, व्यापार और क्षेत्रीय सहयोग पर चर्चा की। मोदी-इब्राहिम वार्ता का मुख्य फोकस व्यापार और निवेश का विस्तार करना और नये और उभरते क्षेत्रों में सहयोग तलाशना था। उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था हमने तय किया है कि भारत-मलेशिया साझेदारी को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया जायेगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में सहयोग की काफी संभावनाएं हैं। अपने उस दौरे में मलेशिया के प्रधानमंत्री इब्राहिम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दोस्त और भाई बताया था। मलेशिया के प्रधानमंत्री दातो सेरी अनवर इब्राहिम के भारत दौरे के समय दोनों प्रधानमंत्रियों के समक्ष आपसी संबंधों को लेकर छह समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये थे। इसमें एक समझौता मलेशिया में भारतीय मजदूरों को रोजगार के ज्यादा अवसर देने व उन्हें बेहतर समाजिक-आर्थिक सुरक्षा देने को लेकर किया गया था।
आतंकवाद और कट्टरपंथ से निपटने पर सहमत हुए भारत और मलेशिया
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