New Delhi News: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को विस्तारित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अपने वक्तव्य में नये सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत ब्रिक्स के विस्तार का समर्थक है। उन्होंने यह भी कहा कि विस्तार का निर्णय सर्वसम्मति से होना चाहिए। इसके अलावा संस्थापक सदस्य देशों की राय का सम्मान भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स एक विविधतापूर्ण और सर्वसमावेशी मंच है तथा यह विभाजनकारी नहीं, बल्कि लोगों की भलाई के लिए प्रेरित समूह है।
उन्होंने कहा कि बैठक एक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है। विश्व में नार्थ-साउथ और पूर्व-पश्चिम विभाजन की बात हो रही है। ऐसे में ब्रिक्स की सकारात्मक भूमिका को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विश्व समस्याओं के बारे में हमारा रवैया मानव केन्द्रित होना चाहिए। हमें विश्व को यह संदेश देना चाहिए कि ब्रिक्स विभाजनकारी नहीं, बल्कि जनहितकारी समूह है। ब्रिक्स समय के साथ खुद को बदलने की इच्छा-शक्ति रखनेवाला संगठन है। हमें अपना उदाहरण पूरे विश्व के सामने रखते हुए वैश्विक संस्थानों में सुधार के लिए एकमत होकर आवाज उठानी चाहिए।
आतंकवाद और युवाओं में बढ़ते उग्रवादी विचारों के प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए हमें दोहरे मापदंड नहीं अपनाने चाहिए। आतंकवाद की फंडिंग से निपटने के लिए हम सभी को एक मत होकर दृढ़ता से सहयोग देना होगा। हमारे देशों के युवाओं में उग्रवाद को रोकने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए।
16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में इस संगठन के प्रारम्भिक पांच सदस्य देशों- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के अलावा चार नये सदस्य देश ईरान, यूएई, इथोपिया और मिस्र भी शामिल हुए हैं। वहीं, सउदी अरब को संगठन की सदस्यता मिलने के बाद भी वह आधिकारिक रूप से इसमें शामिल नहीं हुआ है।
भारत ब्रिक्स के विस्तार का समर्थक, आम राय से हो फैसला
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