Categories


MENU

We Are Social,
Connect With Us:

☀️
Error
Location unavailable
🗓️ Thu, Mar 27, 2025 🕒 4:26 AM

सिंधु जल संधि, 1960 के तहत तटस्थ विशेषज्ञ के निर्णय का भारत ने किया स्वागत

सिंधु जल संधि, 1960 के तहत तटस्थ विशेषज्ञ के निर्णय का भारत ने किया स्वागत

Share this:

New Delhi News: भारत ने सिंधु जल संधि-1960 के अनुबंध एफ के पैराग्राफ 7 के तहत तटस्थ विशेषज्ञ की उसकी क्षमता के बारे में दिये गये निर्णय का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह निर्णय भारत के रुख का समर्थन करता है कि किशनगंगा और रतले जलविद्युत परियोजनाएं के सम्बन्ध में सभी सात प्रश्न संधि के तहत तटस्थ विशेषज्ञ के अंतर्गत आनेवाले मतभेद हैं।

संधि एक ही तरह के मतभेदों पर समानांतर कार्यवाही की अनुमति प्रदान नहीं करता
मंत्रालय ने कहा है कि संधि एक ही तरह के मतभेदों पर समानांतर कार्यवाही की अनुमति प्रदान नहीं करता है। इस कारण से भारत अवैध रूप से गठित मध्यस्थता न्यायालय की कार्यवाही को मान्यता नहीं देता है या इसमें भाग नहीं लेता है। तटस्थ विशेषज्ञ ने सिंधु जल संधि के तहत परियोजनाओं से सम्बन्धित कुछ मुद्दों को सम्बोधित करने की अपनी क्षमता पर 20 जनवरी को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार भारत की सुसंगत और सैद्धांतिक स्थिति यह रही है कि संधि के तहत केवल तटस्थ विशेषज्ञ ही इन मतभेदों को तय करने की क्षमता रखता है। तटस्थ विशेषज्ञ अब अपनी कार्यवाही के अगले चरण में आगे बढ़ेंगे। यह चरण सात मतभेदों में से प्रत्येक पर अंतिम निर्णय देंगे। संधि की पवित्रता और अखंडता को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध होने के नाते भारत तटस्थ विशेषज्ञ प्रक्रिया में भाग लेना जारी रखेगा ताकि मतभेदों को संधि के प्रावधानों के अनुरूप तरीके से हल किया जा सके।

Share this:

Latest Updates