संविधान को अंगीकृत करने की 75वीं वर्षगांठ के समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति
New Delhi News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय संविधान को जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज बताते कहा कि इसके माध्यम से हमने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास से जुड़े कई महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल किये हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू संविधान को अंगीकृत करने की 75वीं वर्षगांठ के वर्ष भर चलनेवाले समारोह की शुरुआत करने के लिए संविधान सदन के केन्द्रीय कक्ष में मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने देशवासियों से अपने आचरण में संवैधानिक आदर्शों को शामिल करने, मौलिक कर्तव्यों का पालन करने और वर्ष 2047 तक “विकसित भारत” के निर्माण के राष्ट्रीय लक्ष्य की ओर समर्पण के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है। हमारे दूरदर्शी संविधान निर्माताओं ने बदलते समय की आवश्यकताओं के अनुसार नये विचारों को अपनाने की व्यवस्था प्रदान की थी। हमने संविधान के माध्यम से सामाजिक न्याय और समावेशी विकास से जुड़े कई महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल किये हैं। एक नयी सोच के साथ हम विश्व समुदाय में भारत को नयी पहचान दिला रहे हैं। हमारे संविधान
निर्माताओं ने भारत को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के निर्देश दिये थे। आज हमारा देश एक अग्रणी अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ विश्व बंधु के रूप में भी अपनी भूमिका बखूबी निभा रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान हमारे लोकतांत्रिक गणतंत्र की मजबूत आधारशिला है। हमारा संविधान हमारी सामूहिक और व्यक्तिगत गरिमा सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर सभी देशवासियों ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाया। अगले वर्ष 26 जनवरी को हम अपने गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ मनायेंगे।
उन्होंने कहा कि एक अर्थ में भारत का संविधान कुछ महानतम लोगों द्वारा लगभग 03 वर्षों के विचार-विमर्श का परिणाम था। लेकिन, सही अर्थों में यह हमारे लम्बे स्वतंत्रता संग्राम का परिणाम था। उस अतुलनीय राष्ट्रीय आन्दोलन के आदर्शों को संविधान में शामिल किया गया। उन आदर्शों को संविधान की प्रस्तावना में संक्षेप में शामिल किया गया है। वे न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता हैं। इन आदर्शों ने सदियों से भारत को परिभाषित किया है। संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित आदर्श एक-दूसरे के पूरक हैं। साथ मिल कर वे एक ऐसा वातावरण बनाते हैं, जिसमें प्रत्येक नागरिक को फलने-फूलने, समाज में योगदान देने और साथी नागरिकों की मदद करने का अवसर मिलता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे संवैधानिक आदर्शों को कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के साथ-साथ सभी नागरिकों की सक्रिय भागीदारी से ताकत मिलती है। हमारे संविधान में प्रत्येक नागरिक के मौलिक कर्तव्यों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। भारत की एकता और अखंडता की रक्षा करना, समाज में समरसता को बढ़ावा देना, महिलाओं के सम्मान को सुनिश्चित करना, पर्यावरण की रक्षा करना, वैज्ञानिक सोच विकसित करना, सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा करना और राष्ट्र को उपलब्धियों के नये स्तर पर ले जाना नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों में शामिल है।
उन्होंने कहा कि संविधान की भावना के अनुसार कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का मिल कर यह दायित्व है कि वे सामान्य लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए मिलजुल कर काम करें। उन्होंने कहा कि संसद द्वारा पारित अनेक अधिनियमों से लोगों की आकांक्षाओं को अभिव्यक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने समाज के सभी वर्गों ; विशेषकर कमजोर वर्गों के विकास के लिए अनेक कदम उठाये हैं। ऐसे निर्णयों से लोगों के जीवन में सुधार हुआ है और उन्हें विकास के नये अवसर मिल रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग तीन-चौथाई सदी की संवैधानिक यात्रा में राष्ट्र ने उन क्षमताओं को अर्जित करने और सार्थक परमापराओं को विकसित करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमने जो सबक सीखे हैं, उन्हें अगली पीढ़ियों तक पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2015 से हर साल “संविधान दिवस” के समारोहों से हमारे युवाओं में देश के बुनियादी दस्तावेज ; यानी संविधान के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली है।
इन शीर्ष नेताओं की रही उपस्थिति
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, उपसभापति हरिवंश, केन्द्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू, राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मंच पर उपस्थित रहे। वहीं, केन्द्रीय मंत्री, संसद सदस्य, दिल्ली स्थित मिशनों के प्रमुख और अन्य गणमान्य व्यक्ति केन्द्रीय कक्ष में उपस्थित रहे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वागत भाषण दिया।
वहीं, उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने भी दोनों सदनों के सदस्यों को सम्बोधित किया।
स्मारक सिक्का और डाक टिकट का विमोचन
इस अवसर पर भारत के संविधान को अंगीकृत किये जाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का विमोचन किया गया। इसके अलावा “भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक” और “भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” शीर्षक से दो पुस्तकों का विमोचन किया गया। भारत के संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन किया गया। इसके अलावा संस्कृत और मैथली भाषा में लिखित भारत के संविधान का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को दर्शाते हुए एक लघु फिल्म भी दिखायी गयी।