New Delhi News: राज्यसभा में बुधवार को शून्य काल में जल संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, नशे की लत सहित कई महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गयी। सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि शीतकालीन सत्र में उच्च सदन में आज नियम 267 के तहत पांच नोटिस मिले हैं। इनमें किसानों के एमएसपी को लेकर कोई नोटिस नहीं है, इसलिए इस मुद्दे को नहीं लिया जा सकता। इस मुद्दे पर विपक्ष के नेताओं ने शोर मचाना शुरू किया। इस पर सभापति ने कहा कि कांग्रेस किसानों के मुद्दे को लेकर घड़ियाली आंसू बहाती है।
शून्यकाल में बहस के दौरान भाजपा सदस्य डॉ. दिनेश शर्मा ने पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से कई गम्भीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। विशेष रूप से जल संकट मंड़राने लगा है। हमारे देश में पीने योग्य पानी का केवल चार प्रतिशत उपलब्ध है, जबकि विश्व की 70 प्रतिशत आबादी भारत की है। जाहिर है, सीमित संसाधनों में आपूर्ति का दवाब है। पीने योग्य जल तेजी से घट रहा है। उन्होंने जल संरक्षण के लिए सुझाव देते हुए कहा कि अब आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। वृक्षारोपण के साथ जल संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग उपाय करने की जरूरत है।
भाजपा सदस्य डॉ. लक्ष्मण ने सदन में शून्यकाल उठाया मुद्दा
भाजपा सदस्य डॉ. लक्ष्मण ने सदन में शून्यकाल के दौरान ‘सभापति की अनुमति से उठाये गये मुद्दे’ के अंतर्गत सभी नागरिकों के लिए स्वच्छ जल तक सुरक्षित और विश्वसनीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश में करोड़ों लोग पेयजल की आपूर्ति से दूर हैं। इससे उनके स्वास्थ्य को भी खतरा पैदा हो गया है। सरकार को इस पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और जल संचयन की व्यवस्था करनी चाहिए ।
भाजपा सदस्य मदन राठौर ने कहा कि राजस्थान में एमडी ड्रग्स खुले आम बेची जा रही है। गंगानगर में 25-45 साल के युवक नशे के गिरफ्त में जा रहे हैं। विशेषकर स्कूलों के बाहर ड्रग्स बेचा जा रहा है। केन्द्र सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए नशा मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की है। आज देश के 372 जिलों में यह अभियान चलाया जा रहा है। सरकारी प्रयास के साथ 8000 स्वंयसेवक लोगों के बीच जागरूकता फैला रहे हैं। इसके साथ ही पुलिस को और मुस्तैद होनी की जरूरत है। मनोनीत सदस्य पीटी उषा ने सरकारी नौकरियों में खिलाड़ियों के लिए आरक्षित पदों पर भर्ती की मांग की।
बॉयलर (संशोधन) विधेयक, 2024 हुआ पारित
सौ साल पुराने मूल कानून की जगह लेने और व्यापार में सुगमता के लिए बॉयलर (संशोधन) विधेयक, 2024 को राज्यसभा ने बुधवार को पारित कर दिया। इसमें बॉयलर के अन्दर काम करनेवाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं। इस विधयेक के पास होने से सरकार केन्द्रीय बॉयलर बोर्ड का गठन कर सकेगी।
केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बॉयलर (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि 1923 के अधिनियम में संशोधन के लिए यह बिल लाया गया है। इससे सरकार केन्द्रीय बॉयलर बोर्ड का गठन कर सकेगी। पीयूष गोयल ने कहा कि ये बॉयलर्स विधयेक एक प्रकार से देश को सुरक्षित बनाता है।
पीयूष गोयल ने कहा कि इस विधेयक में बॉयलर के अन्दर काम करनेवाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किये गये हैं। विधयेक में बॉयलर की मरम्मत का काम योग्य और सक्षम व्यक्तियों द्वारा करने का प्रावधान है। ये विधेयक बॉयलर अधिनियम, 1923 की जगह लेगा। उन्होंने कहा कि अनुमान है कि देश में 40 लाख से ज्यादा बॉयलर्स हैं, जिन्हें इससे फायदा होगा।
उन्होंने सदन को बताया कि सरकार का मकसद कामगारों को सुरक्षा मिले, जवाबदेही तय हो, जनता और उद्योग जगत पर विश्वास हो। गोयल ने चर्चा का जवाब देते हुए सदन को बताया कि 1863 में कोलकाता (तब कलकत्ता) में एक बॉयलर में विस्फोट हुआ, तब बंगाल काउंसिल ने एक कानून बनाया था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 06 दूसरे राज्यों में भी अलग-अलग कानून बने। 1920 में अंग्रेजों ने एक कमेटी बनायी, फिर 1923 में एक कानून बना। इसमें सुरक्षा के नियम बनाये गये थे।
इससे पहले केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने राज्य सभा में बॉयलर (संशोधन) विधेयक, 2024 को विचार एवं पारित करने के लिए पेश किया। यह विधेयक सुरक्षा को भी बढ़ायेगा, क्योंकि बॉयलर के अन्दर काम करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और बॉयलर की मरम्मत योग्य एवं सक्षम व्यक्तियों द्वारा करवाने के लिए इस विधेयक में विशिष्ट प्रावधान किये गये हैं। यह विधयेक बॉयलर अधिनियम, 1923 की जगह लेगा। नये विधेयक में तीन अपराधों को अपराध से मुक्त करने और श्रमिकों के लिए सुरक्षा उपायों में सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है।