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कथा है पुरुषार्थ की, स्वार्थ की, परमार्थ की, सारथी जिसके बने श्री कृष्ण…

कथा है पुरुषार्थ की, स्वार्थ की, परमार्थ की, सारथी जिसके बने श्री कृष्ण…

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Mumbai news : भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में गायकों का इतिहास बड़ा समृद्ध है। कुंदन लाल सहगल, एसडी बर्मन, हेमंत कुमार, तलत महमूद, मुकेश, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, लता मंगेशकर, आशा भोसले और इसी कड़ी में महेंद्र कपूर का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। महेंद्र कपूर की गायकी का अंदाज अन्य गायकों से भिन्न है और उनकी पहचान अमिट है। महाभारत सीरियल का प्रारंभिक गीत महाभारत कथा, कथा है पुरुषार्थ की, स्वार्थ की, परमार्थ की, सारथी जिसके बने श्री कृष्ण… को सुनते ही आपको पता चल जाएगा कि यह गीत महेंद्र कपूर ने गाया है और बीआर चोपड़ा इस गीत को और किसी गायक से नहीं गवा सकते थे। 1934 में जन्मे महेंद्र कपूर के निधन के 16 साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन आज भी जब उनके गीत हमारे कानों तक पहुंचाते हैं तो सीधे दिल को प्रभावित करते हैं।

मोहम्मद रफी को मानते थे आदर्श

कहा जाता है कि 16 साल की उम्र में अमृतसर में पैदा हुए महेंद्र कपूर बॉम्बे पहुंचे थे। गायकी में मोहम्मद रफी को वह आदर्श मानते थे। वह रफी को पूजते थे। उन्होंने माया नगरी मुंबई में अपने को एक सफल गायक के रूप में स्थापित करने के लिए लंबा संघर्ष किया। लेकिन, मुकाम खुद उन तक चल कर आया। यह उनकी उपलब्धि है कि उनके द्वारा गाए आज से चार पांच दशक पहले के गीत भी हम एक बार सुनते हैं, तो सुनते रह जाते हैं। याद कीजिए, ‘मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, ‘है रीत जहां की प्रीत सदा मैं गीत वहां के गाता हूं भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं। ये गीत भारतीय मानस के अमर गीत हैं। यह भी दिलचस्प संयोग है कि इन गानों को अभिनेता मनोज कुमार पर फिल्माया गया है। इसीलिए, मनोज कुमार और महेंद्र कपूर की जोड़ी को आज भी लोग याद करते हैं।

चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों

महेंद्र कपूर ने अपनी गाय की के करियर में हजारों जीत गए हैं। हिंदी फिल्मों के साथ-साथ गुजराती, पंजाबी, भोजपुरी और मराठी में भी गाने गाए। सुपरहिट गीत- ‘चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। उपकार फिल्म के ‘मेरे देश की धरती के लिए’ उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें तब सबसे ज्यादा खुशी मिली थी जब मोहम्मद रफी के साथ गाना गाने को मिला था। 1968 में एक फिल्म आई-आदमी। इस फिल्म में संगीत नौशाद साहब का था। इस फिल्म में एक गाना था-कैसी हसीन आज बहारों की है, इक चांद आसमा में है एक मेरे साथ है। इस गाने की जो लाइन मनोज कुमार पर फिल्माई गई थी, वो थी-ओ देने वाले तूने तो कोई कमी ना की, किसको क्या मिला ये मुकद्दर की बात है। इस फिल्म में मोहम्मद रफी के साथ गाकर महेंद्र कपूर का जीवन सार्थक हो गया था। कहा जाता है कि वह खुद ऐसा मानते थे।

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