Categories


MENU

We Are Social,
Connect With Us:

☀️
Error
Location unavailable
🗓️ Sun, Mar 30, 2025 🕒 7:06 PM

प्रोन्नति से ग्रेड-4 में आए शिक्षकों को लगा बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने कहा- 1993 की प्रोन्नति नियमावली ही मान्य 

प्रोन्नति से ग्रेड-4 में आए शिक्षकों को लगा बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने कहा- 1993 की प्रोन्नति नियमावली ही मान्य 

Share this:

Ranchi news : राकेश कुमार सिंह और अन्य के विरुद्ध राज्य सरकार की रीट याचिका पर झारखंड उच्च न्यायालय में माननीय न्यायाधीश दीपक रोशन के बैंच में सोमवार को अंतिम फैसला आया। झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहां है कि 1993 की प्रोन्नति नियमावली ही मान्य होगी। इससे स्पष्ट हो गया कि ग्रेड फ़ोर में सीधी नियुक्ति से नियुक्त शिक्षक ही सीनियर रहेंगे। कोर्ट के फैसले से प्रोन्नति से ग्रेड- 4 में आए शिक्षकों और झारखंड सरकार को बड़ा झटका लगा है। वहीं दूसरी और नए शिक्षकों को इस फैसले से लाभ होगा। कोर्ट केस फैसले पर झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ ने खुशी जाहिर की है। आपको बता दें कि मुख्य रूप से ग्रेड 4 से ग्रेड 7 में प्रोन्नति प्रदान करने के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा मार्गदर्शन पत्र 866 जारी किया गया था। उक्त मार्गदर्शन में सीधी नियुक्ति से ‌नियुक्त शिक्षकों के लिए कालावधि बढ़ाने का निर्णय लेते हुए नया नियमावली बनाने की बात कही गई थी।

ग्रेड 7 प्रोन्नति हेतु वरीयता सूची को कोर्ट ने किया निरस्त 

दुमका, पश्चिम सिंहभूम, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, रांची, गढवा , जामताड़ा सहित अन्य जिलों में महज़ इसी मार्गदर्शन पत्र के आधार पर ग्रेड 7 प्रोन्नति हेतु वरीयता सूची निकाली गई थी। इसमें सीधी नियुक्ति से नियुक्त और पहले से कार्यरत शिक्षकों का नाम हटाते हुए उन्हें प्रोन्नति हेतु Zone of Consideration में नहीं रखा गया था। इस पर विभिन्न जिलों के‌ शिक्षक हाईकोर्ट में अलग-अलग रीट याचिकाएं दाखिल की थी। इसी आलोक में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त याचिका पर सोमवार को अंतिम निर्णय सुनाया गया।

1993 की प्रोन्नति नियमावली ही मान्य 

माननीय न्यायाधीश ने स्पष्ट आदेश देते हुए कहा कि प्रोन्नति के लिए वर्तमान में प्रभावी 1993 प्रोन्नति नियमावली यथेष्ट है। इसी के आधार पर प्रोन्नति दी जाए। इसके साथ-साथ 866 सहित विभिन्न मार्गदर्शन पत्रों की औचित्य पर सवाल उठाते हुए इसे निरस्त करने का फैसला सुनाया। इसके साथ-साथ  इसके आधार पर विभिन्न जिलों में निकाली गई विभिन्न वरीयता सूची को भी निरस्त करने का निर्णय सुनाया गया। उक्त रीट याचिका में प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने पक्ष रखा।

न्यायालय के निर्णय पर झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ के अध्यक्ष और महासचिव ने खुशी जताई

न्यायालय द्वारा दिए गये निर्णय पर हर्ष व्यक्त करते हुए झारखंड प्रगतिशील शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष आनंद किशोर साहू और महासचिव बलजीत सिंह ने कहा कि संघ ने सदैव विभाग के समक्ष भी यही मांग रखते आया है कि 1993 प्रोन्नति नियमावली में वर्णित प्रावधानों के आलोक में ही प्रोन्नति दिया जाना चाहिए। क्यों कि उक्त प्रोन्नति नियमावली वर्तमान में प्रभावी है और उसमें कालावधि, योग्यता एवं पारस्परिक वरीयता संबंधित सभी नियम स्पष्ट वर्णित हैं। अत: विभाग को बिना देरी किए 1993 प्रोन्नति नियमावली के आलोक में प्रोन्नति देते हुए शीघ्र ही प्रधानाध्यापक सहित सभी प्रोन्नति के पदों को भरने पर विचार करना चाहिए।

Share this:

Latest Updates