बिहार और बंगाल चुनावों के लिए बनेगी विशेष रणनीति, कल्पना सोरेन को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
Ranchi news : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ को और विस्तार देने के उद्देश्य से पूरी तैयारी में जुटा हुआ है। पार्टी का सदस्यता अभियान अपने अंतिम चरण में है, जिसके पूरा होते ही पंचायत, प्रखंड और जिला कमेटियों के गठन की प्रक्रिया आरंभ होगी। अनुमान है कि यह कार्य लगभग एक महीने तक चलेगा।
इसके बाद अप्रैल के दूसरे सप्ताह में झामुमो का 13वां केंद्रीय महाधिवेशन आयोजित किया जाएगा। यह महाधिवेशन न केवल भव्य होगा, बल्कि कई मायनों में ऐतिहासिक भी रहने वाला है। पार्टी महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के अनुसार, हालिया राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर यह अधिवेशन झामुमो के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
बिहार और पश्चिम बंगाल चुनावों पर रहेगा फोकस
महाधिवेशन के दौरान बिहार और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए विशेष रणनीति बनाई जाएगी। झामुमो इन चुनावों में न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है, बल्कि प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस योजनाओं पर मंथन करेगा।
इसके अलावा, देश की आर्थिक स्थिति, केंद्र सरकार की नीतियों और विभिन्न राजनीतिक प्रस्तावों पर भी चर्चा होगी। झामुमो अगले तीन वर्षों की कार्ययोजना को भी पेश करेगा, जिससे पार्टी की आगामी रणनीतियों को स्पष्ट दिशा मिलेगी।
तीन दिवसीय होगा महाधिवेशन, कई राज्यों के प्रतिनिधि होंगे शामिल
पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय के अनुसार, इस बार महाधिवेशन तीन दिन तक चलेगा। इसमें अंडमान-निकोबार सहित सात से आठ राज्यों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। पिछली बार, 2021 में कोरोना महामारी के कारण यह अधिवेशन केवल एक दिन के लिए आयोजित किया गया था, लेकिन इस बार इसे अधिक व्यापक और प्रभावशाली बनाया जा रहा है।
महाधिवेशन में मणिपुर और असम सहित अन्य राज्यों में आदिवासी समाज के हितों से जुड़े मुद्दों पर भी गहन चर्चा होगी। झामुमो मानता है कि हेमंत सोरेन आज के समय में देश के सबसे प्रभावशाली आदिवासी नेता बनकर उभरे हैं, और उनकी नीतियां आदिवासी समाज के लिए आशा की किरण हैं।
कल्पना सोरेन को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
महाधिवेशन के दौरान पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा। वर्तमान में शिबू सोरेन केंद्रीय अध्यक्ष और हेमंत सोरेन कार्यकारी अध्यक्ष हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, शिबू सोरेन को एक बार फिर अध्यक्ष चुने जाने की संभावना है।
इसके साथ ही, पार्टी में विधायक कल्पना सोरेन को केंद्रीय उपाध्यक्ष या महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपने का प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है। इससे पार्टी में नई ऊर्जा का संचार होगा और संगठन को और मजबूती मिलेगी।
महाधिवेशन से निकलेगी नई राजनीतिक दिशा
झामुमो के इस महाधिवेशन से न केवल संगठनात्मक शक्ति में वृद्धि होगी, बल्कि आगामी चुनावी रणनीतियों को भी धार मिलेगी। झारखंड की राजनीति के साथ-साथ बिहार और बंगाल में भी झामुमो अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। महाधिवेशन के निर्णयों का दूरगामी प्रभाव होगा और पार्टी की भविष्य की राजनीति को नया मोड़ देगा।