New Delhi news : संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) ने वक्फ (संशोधन) बिल 2024 की ड्राफ्ट रिपोर्ट और संशोधित बिल को बुधवार को बहुमत से मंजूरी दे दी। समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने मीडिया को बताया कि विपक्षी सांसदों को असहमति पत्र (डिसेंट नोट) जमा करने के लिए शाम 4 बजे तक का वक्त दिया गया है।
इस फैसले से विपक्ष खासा नाराज दिखा, क्योंकि समिति ने एनडीए सांसदों के सभी संशोधनों को मंजूर कर लिया, जबकि कांग्रेस, एआईएमआईएम, टीएमसी, शिवसेना (उद्धव गुट) और वाम दलों के सुझावों को पूरी तरह खारिज कर दिया। विपक्षी पार्टीयों का दावा है कि मंगलवार को सांसदों को 600 से ज्यादा पन्नों की ड्राफ्ट रिपोर्ट दी गई थी, जिसे पढ़कर अपनी आपत्ति दर्ज कराना लगभग नामुमकिन था।
मैंने असहमति पत्र जमा कर दिया है
शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद अरविंद सावंत ने कहा, “मैंने असहमति पत्र जमा कर दिया है, क्योंकि इस बिल को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। इसे न्याय के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक मकसद से आगे बढ़ाया जा रहा है। यहां तक कि संविधान की भी अनदेखी की जा रही है। जब वे वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की बात करते हैं, तो इससे भविष्य में मंदिरों के प्रबंधन पर भी असर पड़ सकता है।”
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिल के प्रावधानों की आलोचना करते हुए कहा, “जो संशोधन किए गए हैं, वे वक्फ बोर्ड के हित में नहीं हैं, बल्कि उसे खत्म कर देंगे। 650 पन्नों की रिपोर्ट को रातोंरात पढ़कर डिसेंट नोट तैयार करना व्यावहारिक रूप से असंभव था।” विपक्षी दलों के सांसदों ने इस पूरे घटनाक्रम को लोकतंत्र की हत्या बताया और आरोप लगाया कि जेपीसी की प्रक्रिया पूरी तरह से एकतरफा रही।
जेपीसी की पूरी कार्यवाही केवल दिखावा थी
टीएमसी ने अपने असहमति पत्र में कहा, “जेपीसी की पूरी कार्यवाही केवल दिखावा थी। समिति के अध्यक्ष ने जिस मनमाने तरीके से इसे आगे बढ़ाया, वह कानून की प्रक्रिया के खिलाफ है। इससे सांसदों को विरोध करने का अधिकार छीन लिया गया और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन हुआ। 27 जनवरी 2025 लोकतंत्र के इतिहास में काले दिन के रूप में दर्ज होगा।”
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
संशोधित बिल की रिपोर्ट गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को सौंपी जाएगी। बता दें कि अगस्त 2024 में यह बिल संसद में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पेश किया गया था और जेपीसी को इसके अध्ययन के लिए भेजा गया था। इसका मकसद वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन कर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाना बताया गया है। गौरतलब है कि जिस तरह से यह प्रक्रिया पूरी हुई उससे विपक्ष और सरकार के बीच टकराव और बढ़ने के आसार हैं। संसद के बजट सत्र में इस मुद्दे पर जबरदस्त बहस होने की संभावना है।