Dharm adhyatma : काशी में जगह-जगह महादेव का मंदिर है, जिनका अपना ऐतिहासिक महत्त्व है। इसी काशी के पाताल लोक में भगवान शिव का ऐसा चमत्कारिक मंदिर है, जिनके दर्शन मात्र से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। भगवान शंकर का यह मंदिर साल में सिर्फ 24 घण्टे के लिए खुलता है।
नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ
काशी विश्वनाथ मंदिर के दरबार से आधा किलोमीटर दूर सिंधिया घाट के करीब शीतला गली में महेश्वर महादेव का ऐतिहासिक मंदिर है। जमीन से 30 फीट नीचे पाताल लोक में बसे महेश्वर महादेव को बाबा विश्वनाथ का पिता कहा जाता है। काशी खण्ड में इसका जिक्र भी है। काशी का यह महाशिवलिंग जमीन से 30 फीट नीचे है, जिसके कारण यहां सांप और बिच्छू भी देखे जाते हैं। इस महाशिवलिंग के ऊपर बड़े छेद से भक्त बाबा का जलाभिषेक करते हैं।
यह है कथा
मंदिर के पुजारी सुरेश शर्मा बताते हैं, काशी में जब गंगा नहीं थी, उसके पहले से यहां महेश्वर महादेव विराजमान हैं। भगवान शंकर के बाद जब सभी देवी-देवता काशी आये, तो शिव के पिता को न देख वह उदास हो गये। इसके बाद सभी देवी-देवताओं ने उनका आह्वान किया। फिर बाबा विश्वनाथ के पिता महेश्वर महादेव प्रकट हुए और शिवलिंग स्वरूप में यहां विराजमान हो गये।
पितृ दोष से मिलती है मुक्ति
मान्यता है कि काशी के इस महाशिवलिंग के दर्शन और जलाभिषेक से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। महाशिवरात्रि पर मंदिर को भक्तों के लिए खोला जाता है। मंदिर खुलने के साथ ही यहां भक्तों की भीड़ होती है। महाशिवरात्रि के अलावा सावन के महीने में भी भक्त यहां आते हैं और शिवलिंग के ऊपर छेद से बाबा पर जल अर्पण करते हैं।