New Delhi news : जो लोग नोटरीकृत विवाह और तलाक को वेद समझते हैं, वह गलती कर रहे हैं। मोदी सरकार की नजर में नोटरीकृत विवाह और तलाक वैध नहीं है। इसलिए स्पष्ट रूप से इसकी जानकारी रखनी चाहिए। इन प्रथाओं में शामिल नोटरी को गंभीर कानूनी नतीजों का सामना करना पड़ेगा। यह घोषणा कानून और न्याय मंत्रालय के एक हालिया ज्ञापन के माध्यम से की गई है।
नोटरी अधिनियम 1952 का हवाला
ज्ञापन में कहा गया है कि नोटरी अधिनियम, 1952 के तहत नियुक्त नोटरी के पास विवाह या तलाक के कामों को निष्पादित करने का अधिकार नहीं है। यह भूमिका विशेष रूप से विवाह अधिकारियों को सौंपी गई है। भारत सरकार के उप सचिव राजीव कुमार ने कहा, नोटरी द्वारा इस तरह के कदाचार वैवाहिक कार्यवाही की कानूनी अखंडता और गंभीर प्रकृति को बाधित करते हैं। ऐसी गतिविधियों में शामिल होना जो स्पष्ट रूप से उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं, न केवल कानूनी प्रणाली को कमजोर करता है, बल्कि ऐसे कार्यों में शामिल पक्षों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम भी पैदा करता है। इसमें नोटरी के रजिस्टर से संभावित निष्कासन और शासकीय कानूनों के अनुसार अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई शामिल है।
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने लोगों से किया आग्रह
उसके साथ ही विधि एवं न्याय मंत्रालय के अधिकारियों ने विवाह या तलाक के इच्छुक सभी पक्षों से उचित कानूनी चैनलों का पालन करने का आग्रह किया है, साथ ही चेतावनी दी है कि इन उद्देश्यों के लिए नोटरीकृत दस्तावेजों पर निर्भरता को कानूनी रूप से मान्यता नहीं दी जाएगी और इसके परिणामस्वरूप कार्यवाही अमान्य हो सकती है।