Chennai news : तमिलनाडु के बजट में रुपये का लोगो हटा देने के बाद भाषा का विवाद धीरे-धीरे तूल पकड़ रहा है. ऐसे में रुपये का लोगो डिजाइन करने वाले आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर डी उदय कुमार ने तमिलनाडु सरकार की ओर से राज्य बजट के लिए रुपये का नया लोगो जारी किए जाने के कुछ ही घंटों बाद भाषा विवाद में पड़ने से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह एक संयोग ही है कि उनके पिता द्रमुक के विधायक थे. इसी बीच तमिलनाडु की द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट के लिए गुरुवार को जारी किए गए लोगो में भारतीय रुपये के प्रतीक चिह्न के स्थान पर तमिल अक्षर का प्रयोग किया है. इस बजट को आज विधानसभा में पेश किया गया।
सरकार को बदलाव की जरूरत महसूस हुई होगी
इसमामले में प्रो. डी उदय कुमार ने कहा कि तमिलनाडु सरकार को लगा होगा कि भारतीय रुपए के प्रतीक चिन्ह में बदलाव करना चाहिए तो उसने कर दिया। मेरे पास इस बारे में कहने के लिए कुछ भी नहीं है. यह पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है. बता दें कि कुमार के पिता एन धर्मलिंगम 1971 में ऋषिवंदियम निर्वाचन क्षेत्र से द्रमुक पार्टी के विधायक थे. उन्होंने कहा कि मेरे पिता मेरे जन्म से पहले ही विधायक थे. अब वह बूढ़े हो चुके हैं। वह गांव में शांतिपूर्वक अपना जीवन बिता रहे हैं.
तमिल भाषा में भारतीय मुद्रा को रुबय कहा जाता है
उन्होंने कहा कि ये महज एक संयोग है कि द्रमुक के विधायक थे और द्रमुक सरकार ने डिजाइन बदल दिया. मुझे इसके अलावा कुछ और नहीं दिखता. यह एक अलग संयोग है जो पिछले दिन घटित हुआ है. राज्य सरकार की ओर से बजट में लाए गए लोगो में तमिल शब्द रुबय का प्रथम अक्षर रु अंकित किया गया है. तमिल भाषा में भारतीय मुद्रा को रुबय कहा जाता है. लोगो में यह भी लिखा है कि सभी के लिए सबकुछ, जिससे राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक शासन के समावेशी मॉडल के दावे का संकेत मिलता है. उन्होंने आगे कहा कि मैंने जो डिजाइन बनाया था, वह सरकार की ओर से मांगी गई कुछ जरूरतों पर आधारित था. यह भारत सरकार की ओर से आयोजित एक स्पर्धा थी. मैंने इसमें भाग लिया और मेरा डिजाइन प्रतियोगिता में चुन लिया गया। बाद में इसे लागू कर दिया गया.