प्रधानमंत्री के ब्रिक्स समिट में शिरकत से पहले बड़ी कूटनीतिक सफलता
`भारत और चीन की सेनाओं के बीच एलएसी को लेकर बनी सहमति पर कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति मई 2020 से पहले जैसी हो गई है। इस सहमति को हम दोनों देश काफी पॉजिटिव रूप से देख रहे हैं। अब देखना है कि भविष्य में यह स्थिति बनी रहती है या नहीं।’
– एस. जयशंकर, भारतीय विदेश मंत्री
New Delhi news : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स समिट में शिरकत से पहले भारत और चीन के बीच बड़ा समझौता हुआ है। सोमवार को भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध समाप्त करने की दिशा में सहमति बन गई। यह समझौता दोनों सेनाओं के बीच गश्त को लेकर है। इसे पूर्वी लद्दाख में लगभग चार वर्षों से जारी सैन्य गतिरोध के समाधान की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इस तरह भारत और चीन के बीच एलएसी में 2020 से पहले की स्थिति कायम हो गई है। 2020 में गलवान घाटी पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने आ गईं थी। संघर्ष में दोनों तरफ से सैनिकों की जान गई थी।
एलएसी पर स्थिति मई 2020 से पहले जैसी हो गई
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और चीन की सेनाओं के बीच एलएसी को लेकर बनी सहमति पर कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति मई 2020 से पहले जैसी हो गई है। इस सहमति को हम दोनों देश काफी पॉजिटिव रूप से देख रहे हैं। अब देखना है कि भविष्य में यह स्थिति बनी रहती है या नहीं। इससे पहले भारत ने कहा था कि चीन के साथ नई दिल्ली के संबंध तभी सामान्य होंगे जब एलएसी पर स्थिति सामान्य होगी। जयशंकर ने कहा कि लद्दाख में कुछ ऐसे क्षेत्र थे, जिन्हें 2020 के बाद दोनों पक्षों ने गश्त के लिए अवरुद्ध कर दिया था। दोनों देश अब एक समझौते पर पहुंच गए हैं, जिसमें गश्त की अनुमति शामिल है। यह समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में गश्त से संबंधित है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत और चीन के राजनयिक और सैन्य वार्ताकार पिछले कई हफ्तों से विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के करीबी संपर्क में रहे हैं।
हम गश्त को लेकर एक समझौते पर पहुंच गए हैं
एएनआई ने एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में जयशंकर के हवाले से कहा है कि विदेश सचिव ने जो कहा है, वही मैं भी कह रहा हूं कि हम गश्त को लेकर एक समझौते पर पहुंच गए हैं। इसके साथ ही हम 2020 की स्थिति में वापस आ गए हैं। ये पूर्वी लद्दाख में ऐसे क्षेत्र हैं जो 2020 के बाद विभिन्न कारणों से तनाव पैदा कर रहे थे। पहले उन्होंने हमें रोका, इसलिए हमने उन्हें रोका। यह समझौता बहुत ही धैर्य और कूटनीति का परिणाम है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या मौजूदा समझौता गश्त को लेकर उन अधिकारों को बहाल करता है, जो गतिरोध से पहले मौजूद थे।
गलवान घाटी में क्या हुआ था?
अप्रैल-मई 2020 में एलएसी पर बीजिंग के आक्रामक रुख के कारण भारत और चीन के रिश्ते खराब हो गए थे। 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी आक्रमण को विफल करने के दौरान 20 भारतीय सैनिक अपनी ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए थे। हाथापाई में भी कई चीनी सैनिक मारे गए। पिछले चार वर्षों में दोनों देशों के बीच कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता हो चुकी है।
ब्रिक्स समिट में मिलेंगे मोदी-शी जिनपिंग!
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों ही रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं। इन दोनों नेताओं के बीच में द्विपक्षीय बैठक को लेकर अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन अटकलें है कि दोनों नेता शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं। रूस के शहर कजान में होने वाले ब्रिक्स समिट पर दुनियाभर की नजरें टिकी होंगी, क्योंकि रूसी राष्ट्रपति भारत और चीन को एक मंच पर खड़ा करके दुनिया को अपनी ताकत दिखाना चाहेंगे।
ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए कई देशों ने अर्जी दी
इसके साथ ही इस साल ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए दुनिया के कई देशों ने अर्जी दी है। ब्रिक्स समिट के दौरान पीएम मोदी अन्य वैश्विक नेताओं से भी द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे। शुरुआती तौर पर ब्रिक्स में केवल ब्राजील, रूस, भारत, चाइना और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे। बाद में ईरान, इजिप्ट, इथोपिया और संयुक्त अरब अमीरात भी इसमें शामिल हो गए। ब्रिक्स देशों में रूस इस समय यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है, वहीं इजरायल और ईरान के बीच में लगातार युद्ध जैसी हालात बने हुए हैं।