Pryagraj News: प्रयागराज में महाकुम्भ की शुरुआत 13 जनवरी सोमबार से हो रही है। महाकुम्भ का समापन महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी को होगा। धार्मिक आस्था का केन्द्र महाकुम्भ मेले का महत्त्व ज्योतिषीय आधार पर भी है। यही कारण है कि महाकुम्भ मेले में देश-विदेश से लाखों लोग सम्मिलित होने आते हैं।
धार्मिक आस्था और संस्कृति का एक अनूठा संगम
महाकुम्भ मेले में धार्मिक आस्था और संस्कृति का एक अनूठा संगम होता है। यही कारण है कि प्रयागराज में इन दिनों भारत के कोने-कोने से लोग तो आते ही हैं, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग शरीक होते हैं। मेले का यह आयोजन सभी समुदाय के लोगों को आकर्षित करता है। इस विश्वव्यापी महाकुम्भ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरुआत हो रही है। कुम्भ का महत्त्व इसलिए भी विशेष है, क्योंकि यह 12 साल में महज एक बार ही आता है, जिसका आयोजन भारत के चार प्राचीन शहरों हरिद्वार, नासिक, प्रयागराज और उज्जैन में किया जाता है। प्रयागराज संगम के पवित्र जल में महाकुम्भ के स्नान और पूजा-अर्चना का सबसे बड़ा अवसर होता है। धार्मिक मान्यताओं और आस्था के अनुसार कुम्भ मेले में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मन व मस्तिष्क में दबी कुंठाओं से छुटकारा मिल जाता है।
समुद्र मंथन और कुम्भ
मान्यतानुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 वर्षों तक युद्ध चला था। इस युद्ध के दौरान अमृत कलश से जिन स्थलों पर अमृत की बूंदें गिरीं, वहां कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। युद्ध 12 वर्षों तक चलने के कारण ही कुम्भ भी हर 12 वर्ष में एक बार आता है।
स्नान का समय
महाकुम्भ का पहला शाही स्नान पूर्णिमा के शुभ अवसर पर होना बताया गया है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक पूर्णिमा तिथि 13 जनवरी यानी सोमवार सुबह 5.3 बजे पर होगी और समापन तिथि 14 जनवरी मंगलवार अर्द्धरात्रि 3.56 पर होगी।