Dhanbad news : भाजपासांसद निशिकांत दुबे द्वारा लोकसभा में संथाल परगना को लेकर उठाए गए सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने पलटवार किया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सांसद निशिकांत दुबे खुद झारखंडी नहीं हैं। इसलिए उन्हें झारखंड के लोगों की भावनाओं का अंदाजा नहीं है। उन्हें ऐसे बयान से परहेज करना चाहिए। वे बेवजह संथालों को बदनाम करते हैं।
इरफान अंसारी ने कहा कि सदन के पटल पर हम संथाल परगना के लोगों को बांग्लादेशी कहा गया। हमें बांग्लादेशी कहना पूरी तरह से अशोभनीय है। हम इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. सांसद को भगवान सद्बुद्धि दें। आप लोग हमें बांग्लादेशी और घुसपैठिया कहकर यहां से चले गए। अब सिर्फ सांसद ही बचे हैं। इन्हें भी बांग्लादेशी का भूत चढ़ गया है।
हम भी चाहते हैं संथाल परगना अलग राज्य बने
मंत्री ने कहा कि हमारी मांग है कि संथाल परगना हमारा अलग राज्य बने। जिस तरह झारखंड अलग राज्य बना, उसी तरह संथाल परगना भी अलग राज्य बने, ताकि हम दुमका पर ध्यान दे सकें। दुमका इसकी राजधानी बने, यही मेरी मांग है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि दुमका में हमारी विधानसभा बने। ताकि एक सत्र रांची में और एक सत्र दुमका में हो। हमारा मुख्य उद्देश्य उपराजधानी दुमका का विकास है। यह दिशोम गुरु शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन और फुरकान अंसारी का सपना है. मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि सांसद ने बिना सोचे समझे बोल दिया। इससे हमारी भावनाएं आहत हुई हैं. हमें बांग्लादेशी कहा जा रहा है।
निशिकांत दुबे ने की थी अलग राज्य गठन की मांग
दरअसल भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संथाल परगना को अलग राज्य बनाने की मांग की थी। निशिकांत दुबे ने लोकसभा में कहा था कि संथाल परगना में बढ़ते बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकने के लिए अलग राज्य का गठन जरूरी है। उन्होंने कहा था कि घुसपैठियों के कारण आगामी परिसीमन में आदिवासियों की सीटें कम हो सकती हैं। इसलिए परिसीमन से पहले घुसपैठियों को अलग किया जाए। उन्होंने कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा नहीं है।
सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि 1951 से 2011 के बीच देश में मुस्लिम आबादी 4 फीसदी बढ़ी। वहीं दूसरी और संथाल परगना में यह आंकड़ा 15 फीसदी रहा। यह बांग्लादेशी घुसपैठ का नतीजा है। 1951 में संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी 45 फीसदी थी, जो 2011 में घटकर 28 फीसदी रह गई। इस दौरान मुस्लिम आबादी 9 फीसदी से बढ़कर 24 फीसदी हो गई। उन्होंने यह भी कहा था कि जरूरत पड़ने पर झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने पर भी विचार किया जाना चाहिए।