Bhuvneshwar news : डाक्टर को यूं ही धरती का भगवान नहीं कहा जाता। यह वाकया भुवनेश्वर एम्स के डाक्टरों ने मुर्दा शरीर में जान फूंककर एक बार फिर साबित कर दिया है। यहां डाक्टरों ने 24 वर्षीय मरीज शुभकांत साहू को ई-सीपीआर देकर उसकी जान बचा ली। लगभग 40 मिनट तक सीपीआर देने के बाद भी मरीज के दिल में कोई हलचल नहीं हुई तो चिकित्सकों ने अगले 40 मिनट तक इक्मो मशीन के जरिये सीपीआर (ई-सीपीआर) दिया। इस बार दिल की धड़कन में हल्की गतिविधि महसूस हुई तो तीसरे चरण में डाक्टरों ने फिर अगले 40 मिनट तक ईसीपीआर दिया और मरीज का दिल फिर से धड़कना शुरू कर दिया।
थे दो विकल्प, मरीज को मृत घोषित कर दिया जाए या फिर सीपीआर देकर बचाने का प्रयास हो
भुवनेश्वर एम्स के निदेशक डा. आशुतोष बिस्वास के अनुसार नयागढ़ निवासी वर्षीय शुभकांत को गंभीर हालत में एक अक्टूबर को एम्स में भर्ती कराया गया था। भर्ती होने के कुछ ही समय बाद मरीज को कार्डियक अरेस्ट हुआ। चिकित्सकों के पास दो ही विकल्प थे, या तो मरीज को मृत घोषित कर दिया जाए या फिर सीपीआर देकर उसे बचाने का प्रयास किया जाए। चिकित्सकों ने दूसरा विकल्प अपनाया।
औसतन 20 मिनट तक दिए जाने वाले सीपीआर को 40 मिनट तक दिया
आमतौर पर एक मरीज को औसतन 20 मिनट तक दिए जाने वाले सीपीआर को 40 मिनट तक दिया गया, परंतु दिल में कोई भी गतिविधि नहीं हुई। इसके बाद दूसरे चरण में अगले 40 मिनट तक ई-सीपीआर दिया गया। इससे भी कुछ खास लाभ तो नहीं हुआ, परंतु आशा की एक किरण दिख गई। दिल की धड़कन में हल्की सी गतिविधि महसूस हुई। फिर तीसरे चरण में चिकित्सकों ने अगले 40 मिनट तक फिर ई-सीपीआर दिया और मरीज के दिल ने अंतत: धड़कना शुरू कर दिया। इसके अगले 30 घंटे में हृदय की कार्यप्रणाली में उल्लेखनीय सुधार हुआ। इसके बाद मरीज को 96 घंटे तक सघन चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया।