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रिटर्निंग सोल्जर इफेक्ट से युद्ध के बाद पैदा होते हैं ज्यादातर लड़के?

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आंकड़ों से वैज्ञानिक भी हैरान, इतिहास गवाह है दोनों विश्व युद्धों के बाद दिखा था यह प्रभाव

New Delhi news : बड़े युद्धों के बाद ज्यादातर लड़के पैदा होना एक रहस्यमयी घटना है, जो वैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों को सोचने पर मजबूर करती है कि क्यों बड़े युद्धों के बाद ज्यादातर पुरुष संतान जन्म लेती हैं। इतिहास में यह देखा गया है कि युद्धों के बाद लड़कों के जन्म में असामान्य वृद्धि होती है। इस घटना को ‘ लौटते सैनिक प्रभाव’ (रिटर्निंग सोल्जर इफेक्ट) कहा जाता है।

क्या है रिटर्निंग सोल्जर इफेक्ट?

लौटते सैनिक प्रभाव यानी रिटर्निंग सोल्जर इफेक्ट का उल्लेख सबसे पहले उस समय किया गया जब बड़े युद्ध, जैसे प्रथम विश्व युद्ध  और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लड़कों के जन्म का अनुपात सामान्य से अधिक था। वैज्ञानिकों का मानना है कि सामान्य परिस्थितियों में लगभग 105 लड़के प्रति 100 लड़कियों के अनुपात में जन्म लेते हैं। यही वर्षों में युद्ध के बाद यह अनुपात बढ़कर लगभग 110 या इससे भी अधिक हो जाता है।

महायुद्धों के बाद भी दिखा था असर

यह प्रभाव विशेष रूप से पहले और दूसरे विश्व युद्ध के बाद देखा गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1940 के दशक के अंत में, कई पश्चिमी देशों में लड़कों के जन्म की दर में वृद्धि हुई थी। इसके साथ ही कोरियाई युद्ध और वियतनाम युद्ध के बाद भी इसका प्रभाव देखा गया था। इतिहास में अन्य युद्धों जैसे नापोलियन युद्धों और गृहयुद्धों के बाद भी यह प्रवृत्ति दर्ज की गई है, जहां सैनिकों की घर वापसी के बाद लड़कों का जन्म दर सामान्य से अधिक था।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों ने इस घटना के पीछे कई सिद्धांत दिए हैं।

जैविक चयन सिद्धांत के अनुसार, जब समाज में बड़े पैमाने पर पुरुषों की मृत्यु होती है, तो प्रकृति इसे संतुलित करने के लिए लड़कों के जन्म को प्राथमिकता देती है। जैविक स्तर पर, योनि में शुक्राणु के प्रकार (एक्स और वाई क्रोमोसोम) का चयन इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा शुक्राणु पहले अंडाणु से मिलता है। वाई क्रोमोसोम के शुक्राणु लड़कों के जन्म के लिए जिम्मेदार होते हैं और यह तेजी से अंडाणु तक पहुंचते हैं, जिससे लड़के के जन्म की संभावना बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि युद्धों के बाद घर लौटने वाले सैनिकों के हार्मोनल स्तर में परिवर्तन हो सकता है। युद्ध का तनाव और घर वापसी की राहत उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकती है, जिससे लड़कों के जन्म की संभावना बढ़ती है। यह प्रभाव सैनिकों की पत्नियों या महिलाओं के गर्भधारण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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