▪︎ तिब्बत में 95 मौतें, मलबों में बदलीं कॉलोनियां
Tibet News : नेपाल की सीमा से सटे तिब्बत के पहाड़ी क्षेत्र शिजांग में मंगलवार सुबह एक घंटे के अन्दर 06 सिलसिलेवार भूकम्प आये। इन्हें रिक्टर स्केल पर 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकम्प के रूप में आंका गया। भूकम्प के कारण तिब्बत में जानमाल का नुकसान हुआ है और करीब 95 लोगों की मौत हुई है। भूकम्प ने तिब्बत के शिगात्से शहर में बड़े पैमाने पर तबाही मचायी है। कई इमारतों समेत इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है।
शिजांग स्वायत्त क्षेत्र (तिब्बत) के डिंगरी काउंटी में आये 7.1 तीव्रता के भूकम्प में 95 लोगों की मौत हुई है और 130 से अधिक घायल हुए हैं। भारत, नेपाल, बांग्लादेश और भूटान के कई इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किये गये। सिक्किम समेत पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों, बिहार और पश्चिम बंगाल समेत उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में मंगलवार सुबह भूकम्प के तेज झटके महसूस किये गये। नेपाल की राजधानी काठमांडू में तेज झटके महसूस होने के बाद लोग अपने घरों से बाहर निकलकर सडकों और खुले स्थानों की ओर भाग गये।
प्रभावित इलाके में लेवल-3 इमरजेंसी घोषित
भूकम्प के बाद बड़ी संख्या में लोग मलबे में फंस गये हैं। इन्हें रेस्क्यू किया जा रहा है। चीन की स्टेट काउंसिल ने भूकम्प प्रभावित इलाके में टास्क फोर्स भेजी है और लेवल-3 इमरजेंसी घोषित कर दी है। चीनी वायुसेना भी प्रभावित क्षेत्र में रेस्क्यू के काम में जुटी है। भूकम्प की वजह से इलाके का इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह डैमेज हो गया है, जिससे यहां बिजली और पानी दोनों ही कट गये हैं। भूकम्प के मद्देनजर चीन ने माउंट एवरेस्ट के टूरिस्ट क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया। लेवल-3 की इमरजेंसी तब डिक्लियर की जाती है जब दुर्घटना इतनी बड़ी हो कि लोकल एडमिनिस्ट्रेशन और स्टेट की सरकार उससे नहीं निपट सकती। ऐसे हालात में केन्द्र सरकार अपनी तरफ से तत्काल मदद भेजती है।
400 किमी दूर तक महसूस हुआ असर
लोकल अधिकारी भूकम्प के नुकसान का आकलन करने के लिए इलाके के लोगों से सम्पर्क कर रहे हैं। भूकम्प के झटके इतने तेज थे कि 400 किमी दूर नेपाल की राजधानी काठमांडू में भी इसका असर महसूस किया गया। भूकम्प पिछले 05 साल में 200 किलोमीटर के दायरे में दर्ज किया गया सबसे शक्तिशाली भूकम्प था। इसका सेंटर उस जगह पर मौजूद है, जहां भारत और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेट्स टकराती हैं। इन प्लेटों के टकराने से हिमालय के पर्वतों में ऊंची तरंगें उठती हैं।