Ranchi news : झारखंड हाई कोर्ट ने मात्र 200 रुपये के लिए हत्या के सजायाफ्ता की अपील याचिका पर 27 साल बाद सुनवाई पूरी करने के बाद मंगलवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है। तीन सितंबर 1993 को देवघर के जसीडीह थाना क्षेत्र में नन्नू लाल महतो की हत्या हुई थी। इस मामले में देवघर की निचली अदालत ने छह जून 1997 को आरोपित लखन पंडित, जमादार पंडित, लक्खी पंडित एवं किशुन पंडित को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
किसी भी वकील ने नहीं की पैरवी, 24 साल तक लटका रहा मामला
प्रार्थियों ने इस बीच वर्ष 1997 में पटना हाई कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की। पटना हाई कोर्ट ने सभी को जमानत प्रदान कर दी। झारखंड राज्य के गठन के बाद यह मामला पटना से झारखंड हाई कोर्ट स्थानांतरित हुआ। इसके बाद प्रार्थियों की ओर से किसी वकील ने पैरवी नहीं की। इस कारण 24 साल तक यह मामला लंबित रहा। इधर, झारखंड हाई कोर्ट ने इसी माह प्रार्थी का पक्ष रखने के लिए हाई कोर्ट के एक वकील को न्याय मित्र नियुक्त किया।
जानें क्या है मामला
दरअसल, लखन पंडित ने नन्नू लाल महतो से 200 रुपये यह कहते हुए उधार लिया था कि वह उसके खेत पर काम कर यह पैसा लौटा देगा। लेकिन लखन ने न तो खेत में योगदान दिया और न ही नन्नू का पैसा लौटाया। इस बीच तीन सितंबर 1993 को महतो उससे पैसा मांगने उसके गांव गया, लेकिन वह घर पर नहीं मिला। इसके बाद उसके परिजन बिस्वरिया गांव पहुंचे, जहां नन्नू लाल के बेटे भैरव महतो ने देखा कि उसके पिता को लखन पंडित सहित अन्य आरोपित घेर कर रखे हुए है। वे टांगी और लाठी से लैस थे। उन्होंने नन्नू लाल महतो की पिटाई की थी, जिससे वह अचेत हो गए थे। भैरव महतो को भी आरोपितों ने जान से मारने की धमकी दी थी, जिसके बाद वह वहां से भाग गया। दूसरे दिन एक अन्य गांव में नन्नू की लाश मिली थी।