Jammu news : जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के बधाल गांव में पिछले एक महीने में हुई 17 मौतों के पीछे किसी संक्रामक रोग का हाथ नहीं है, बल्कि अज्ञात जहरीले पदार्थों की आशंका जताई जा रही है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लखनऊ स्थित सीएसआईआर लैब द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि यह न तो बैक्टीरियल है और न ही वायरल संक्रमण। उन्होंने कहा कि जांच में जहरीले पदार्थ पाए गए हैं। अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यह किस प्रकार का जहर है। अगर किसी साजिश का पता चलता है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जल स्रोत ‘बावली’ को किया गया सील
7 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच इन मौतों की घटनाएं तीन परिवारों के भीतर हुईं, जिसके बाद प्रशासन ने बुधवार को बधाल गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया। सार्वजनिक और निजी आयोजनों पर भी रोक लगा दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, मृतकों के करीबी चार रिश्तेदारों की स्थिति अभी भी गंभीर है और वे अस्पताल में भर्ती हैं। गृह मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए 11-सदस्यीय अंतर-मंत्रालयी टीम का गठन किया है, जो रविवार को राजौरी पहुंची। गांव के एक स्थानीय जल स्रोत, जिसे ‘बावली’ कहा जाता है उसको अधिकारियों ने सील कर दिया है। नमूनों की जांच में इसमें कीटनाशकों और जहरीले पदार्थों की पुष्टि हुई है। इस गांव के मरीजों ने बुखार, दर्द, मतली, अधिक पसीना और बेहोशी जैसे लक्षण बताए हैं। कई मामलों में अस्पताल में भर्ती होने के कुछ दिनों के भीतर मृत्यु हो गई।
200 से अधिक खाद्य नमूनों को देशभर की प्रयोगशालाओं में जांच के लिए भेजा गया
राजौरी के मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. शुजा कादरी ने बताया कि यह किसी भी संक्रामक रोग का मामला नहीं है। डॉ. कादरी ने कहा कि जांच को जहरीले पदार्थों की पहचान तक सीमित कर दिया गया है। 200 से अधिक खाद्य नमूनों को देशभर की प्रयोगशालाओं में जांच के लिए भेजा गया है। उम्मीद है कि एक सप्ताह या दस दिनों में हम जहरीले पदार्थ की पहचान कर लेंगे और नियंत्रण उपाय लागू कर सकेंगे। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को प्रभावित गांव का दौरा किया और निवासियों को आश्वासन दिया कि सरकार इस रहस्यमय बीमारी के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “सभी जांच करवाई गई हैं और परिणामों में किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरस का पता नहीं चला है।” पुलिस ने भी इस मामले में एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया है, जिसने मृतकों के नमूनों में न्यूरोटॉक्सिन्स की उपस्थिति की पुष्टि की है। अधिकारियों का कहना है कि इस रहस्यमय बीमारी के कारणों का जल्द पता लगाया जाएगा और प्रभावित क्षेत्र में ज़हर से बचाव के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। ग्रामीणों में अभी भी भय का माहौल है, लेकिन प्रशासन उन्हें भरोसा दिलाने में जुटा हुआ है।