Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस खारिज

धनखड़ के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस खारिज

Share this:

New Delhi News: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव की नोटिस को उपसभापति हरिवंश ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि 14 दिन की नोटिस नहीं दी गयी थी और धनखड़ का नाम सही ढंग से नहीं लिखा गया था। इसे विपक्ष के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।

उपसभापति ने इसे उपराष्ट्रपति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया


सूत्रों के अनुसार राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी द्वारा सदन में पेश किये गये अपने फैसले में उपसभापति ने कहा कि यह अनुचित कार्य है। इसमें गम्भीर खामियां हैं और यह उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जल्दबाजी में उठाया गया कदम है। सूत्रों ने कहा, “महाभियोग नोटिस देश की संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने और मौजूदा उपराष्ट्रपति को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा है।”
सूत्रों ने बताया कि उपसभापति हरिवंश ने कहा कि देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ एक नैरेटिव बनाने के लिए यह प्रस्ताव लाया गया था। उन्होंने बताया कि उपराष्ट्रपति के खिलाफ एक नैरेटिव बनाने के लिए एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस भी आयोजित की गयी थी। अस्वीकृति के कारणों को बताते हुए हरिवंश ने कहा कि 14 दिन की नोटिस, जो इस तरह के प्रस्ताव को पेश करने के लिए अनिवार्य है, नहीं दी गयी थी। उन्होंने कहा कि धनखड़ का नाम भी सही ढंग से नहीं लिखा गया था। हालांकि, एक प्रोटोकॉल जिसका सही ढंग से पालन किया गया था, वह यह था कि पिछले हफ्ते जब प्रस्ताव पेश किया गया था, तो उस पर 60 सांसदों के हस्ताक्षर होने चाहिए थे।

इसका उद्देश्य संवैधानिक संस्था को नुकसान पहुंचाना है
संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत प्रस्तुत प्रस्ताव का समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी समर्थन किया, जो इस संसदीय सत्र के दौरान कई बार कांग्रेस से असहमत रहे हैं। अनुच्छेद में 14 दिन के नियम का उल्लेख है, जिसमें कहा गया है, “उपराष्ट्रपति को राज्य परिषद (राज्यसभा) के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित प्रस्ताव और लोकसभा द्वारा सहमति से अपने पद से हटाया जा सकता है। लेकिन, इस खंड के उद्देश्य के लिए कोई प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जायेगा, जब तक कि प्रस्ताव पेश करने के इरादे से कम से कम 14 दिन पहले नोटिस नहीं दी गयी हो।”
उपसभापति ने कहा कि उपरोक्त को देखते हुए इस सूचना को अनुचित कार्य के रूप में माना जाता है, जो कि गम्भीर रूप से त्रुटिपूर्ण, स्पष्ट रूप से मौजूदा उपराष्ट्रपति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए हड़बड़ी और जल्दबाजी में तैयार की गयी है। इसका उद्देश्य संवैधानिक संस्था को नुकसान पहुंचाना है। यह खारिज किये जाने योग्य है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

Share this: