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विपक्ष की नीति है फूट डालो और राज करो : हेमन्त 

विपक्ष की नीति है फूट डालो और राज करो : हेमन्त 

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सीएम कहा- वे हमारे समाज को बांटने की कोशिश में हैं ,हमारे कुछ भाई-गोतिया को अपनी ओर मिला लिया है

चक्रधरपुर की चुनावी सभा में सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री, झामुमो उम्मीदवार के लिए मांगे वोट

कहा- आज जीत का आशीर्वाद मांगने आये हैं

Saraikela News : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने बुधवार काे चक्रधरपुर और सरायकेला में चुनावी सभाओं को सम्बोधित किया। चक्रधरपुर में उन्होंने झामुमाे के उम्मीदवार सुखराम उरांव के समर्थन में सभा की और लोगों से मतदान की अपील की। उन्होंने सरायकेला में पार्टी प्रत्याशी गणेश महली के पक्ष में चुनावी सभा की।
सोरेन ने कहा कि आदिवासी-मूलवासियों के अधिकार के लिए वह संघर्ष कर रहे हैं। इनके लिए उन्होंने कई कार्य किये हैं। इसलिए वह आज आशीर्वाद मांगने आये हैं। उन्हाेंने कहा कि विपक्ष की नीति है “फूट डालो और राज करो।” उन्हाेंने कहा कि हमारे ही कुछ भाई और गोतिया को उन्होंने अपनी ओर मिला लिया है और अब वे हमारे समाज को बांटने की कोशिश में हैं। साथ ही, कहा कि ये लोग रोटी, बेटी और माटी की बात करते हैं। असम के मुख्यमंत्री बिस्वा सरमा झारखंड में घूम रहे हैं। इनके ही राज्य में आदिवासियों को आज तक आदिवासी का दर्जा और आरक्षण नहीं मिला है।

गुजरात में बिलकिस के आरोपिताें को इन्होंने संरक्षण दिया

सोरेन ने कहा कि इनकी बगल में ही मणिपुर में आदिवासी लड़की को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया गया। मणिपुर जल रहा है। वहां आदिवासियों पर हिंसक हमले हो रहे हैं, लेकिन न असम के हिमंता ने आज तक कुछ कहा और न इनके प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ कहा ; दौरा करना तो दूर की बात है। उन्हाेंने कहा कि गुजरात में बिलकिस के आरोपिताें को इन्होंने संरक्षण दिया। ये लोग नारी सम्मान की बात करने के अधिकारी नहीं हैं।
हेमन्त सोरेने कहा कि छत्तीसगढ़ में अभी इनकी सरकार है, लेकिन देख लीजिये वहां आदिवासियों औऱ उनके जंगल का क्या हाल है। इनके कारोबारी मित्रों द्वारा आदिवासियों को उनके ठिकाने से विस्थापित किया जा रहा है। जो नहीं विस्थापित हो रहे हैं, उनको नक्सली बता कर जेल में डाल दिया जा रहा है। उन्हाेंंने कहा कि इनको झारखंड के आदिवासियों से नहीं, यहां की खनिज सम्पदा और संसाधनों से मोह है। झारखंड की खनिज सम्पदा को ये लोग अपने व्यापारी मित्रों को देना चाहते हैं।

सुखराम उरांव को जिताना जरूरी

सोरेन ने कहा कि हम पहला ऐसा राज्य हैं, जिसने अपने कर्मचारियों को पेंशन देने की घोषणा की है। उन्हाेंने कहा कि इनके लिए कायदा-कानून नाम की कोई चीज नहीं है। चुनाव कराने आये सिपाहियों ने सिमडेगा में बाजार में रात को निकल कर फायरिंग की, लेकिन उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी। साथ ही, कहा कि मंईयां सम्मान की राशि को दिसम्बर से बढ़ा कर 2500 रुपये कर दिया गया है। हमारी अगली सरकार हर घर में एक लाख रुपये देने का काम करेगी। साथ ही, उन्होंने बाकी की योजनाओं का भी जिक्र किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो बाहर के नेता यहां घूम रहे हैं, उनको यहां भगाने के लिए सुखऱाम उरांव को जिताना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आदिवासी-मूलवासियों के अधिकार के लिए वह संघर्ष कर रहे हैं। इनके लिए उन्होंने कई कार्य किये हैं। इसलिए वह आज आशीर्वाद मांगने आये हैं। विरोधियों ने साजिश कर उन्हें जेल में डाल दिया। उनका उद्देश्य हेमन्त सोरेन सरकार को गिराना था और झामुमो को खत्म करना था। लेकिन, उन्हें पता नहीं है कि जेएमएम इस राज्य की चीन की दीवार है। कोई इसको लांघ कर नहीं जा सकता, जो इस दीवार पर चढ़ेगा, वह खत्म हो जायेगा।

रोटी की बात करनेवालों के शासन में लोग भूख से मरे

हेमन्त सोरेन ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग मां और बेटियों की बात करते हैं। गुजरात और पंजाब के मामले इनके असली चेहरे उजागर करते हैं। ये ऐसे ही लोगों के साथ हैं, जो महिलाओं से दुष्कर्म और छेड़छाड़ के आरोप में जेल में बंद हैं। चुनाव के वक्त ये इनका इस्तेमाल करते हैं। हेमन्त सोरेन ने कहा कि आज ये रोटी की बात करते हैं। यहां डबल इंजन की सरकार में लोग भात-भात कर भूख से मर गयै। आपकी सरकार ने कोरोना जैसी महामारी देखी, लेकिन किसी की मौत भूख से नहीं हुई।

खनन के नाम पर नहीं होगा विस्थापन

हेमन्त सोरेन ने कहा कि माटी की बात करनेवालों ने खनन और डैम निर्माण के नाम पर लोगों को विस्थापित किया। यहां कारखाना और माइनिंग इनके मित्रों का है। आज सबसे अधिक जमीन आदिवासियों की है। इस जमीन को कब्जा करने के लिए ये लोग नयी-नयी नीति बनाते हैं। पहली बार उनलोगों ने उन्हें टक्कर दी है। खनन के नाम पर विस्थापन नहीं होगा। उद्योग लगने से पहले तय होगा रोजगार और मुआवजा। इसके बाद बात आगे बढ़ेगी। उद्योगों में 75 प्रतिशत स्थानीय होंगे।

माटी की बात करनेवालों ने लोगों को विस्थापित किया

हेमन्त ने कहा कि माटी की बात करनेवालों ने खनन और डैम निर्माण के नाम पर लोगों को विस्थापित किया। यहां कारखाना और माइनिंग इनके मित्रों का है। आज सबसे अधिक जमीन आदिवासियों का है। इस जमीन को कब्जा करने के लिए ये लोग नयी-नयी नीति बनाते हैं। पहली बार हमलोगों ने इन्हें टक्कर दी है। खनन के नाम पर विस्थापन नहीं होगा। उद्योग लगने से पहले तय होगा तुम रोजगार और मुआवजा कितना दोगे। इसके बाद बात आगे बढ़ेगी। हमने कानून भी दिया है। उद्योगों में 75 प्रतिशत स्थानीय होंगे। तब धुआं निकलेगा, नहीं तो ताला लटकेगा।

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