विदेश मंत्रालय, भारत के चुनाव आयोग और पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग को बनाया गया पक्षकार
Kolkata news : पश्चिम बंगाल में विदेशी नागरिकों के चुनावों में उम्मीदवार बनने का मामला अदालत पहुंच गया है। इस मामले मे कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गयी है। याचिका में विदेशी नागरिकों के चुनावों में उम्मीदवार बनने के खतरों के बारे में बताया गया है। इस मामले की हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच 13 मार्च को सुनवाई करेगी।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति चैताली चट्टोपाध्याय की खंडपीठ इस याचिका की सुनवाई करेगी। पीआईएल माणिक फकीर ने दायर की है। इस याचिका में विदेश मंत्रालय, भारत के चुनाव आयोग और पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग को पक्षकार बनाया गया है। हाईकोर्ट सूत्रों के अनुसार, यह मामला 13 मार्च को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आयेगा।
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि पहले भी विदेशी नागरिकों के विधानसभा चुनाव और राज्य चुनाव आयोग द्वारा आयोजित पंचायत और ग्रामीण निकाय चुनावों में प्रत्याशी बनने को लेकर विवाद खड़े हो चुके हैं। इसी कारण उन्होंने भारत के चुनाव आयोग और पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग दोनों को इस जनहित याचिका में पक्षकार बनाया है। चूंकि, मामला विदेशी नागरिकों से जुड़ा है, इसलिए विदेश मंत्रालय को भी इस मामले में शामिल किया गया है। पीआईएल में तर्क दिया गया है कि चूंकि पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होंगे। इसलिए चुनावी प्रक्रिया को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक निकायों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी विदेशी नागरिक फर्जी पहचान दस्तावेजों का उपयोग करके चुनाव न लड़ सके।
याचिकाकर्ता ने एक उदाहरण के रूप में तृणमूल कांग्रेस की पंचायत प्रमुख लवली खातून का मामला उठाया है, जो 2023 के पंचायत चुनावों में जीतकर पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हरिश्चंद्रपुर ब्लॉक में एक ग्राम पंचायत की प्रमुख बनी थीं। बाद में यह सामने आया कि उनका असली नाम नासिया शेख है और वह 2015 में बांग्लादेश से भारत में आयी थीं। उन्होंने फर्जी भारतीय पहचान दस्तावेज तैयार कर चुनाव लड़ा था। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने 2021 के विधानसभा चुनाव में उत्तर 24 परगना जिले की बागनान (दक्षिण) सीट से तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार आलो रानी सरकार का भी उल्लेख किया है। चुनाव में उनकी हार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी स्वपन मजूमदार के हाथों हुई थी, लेकिन बाद में कलकत्ता हाईकोर्ट में उनकी भारतीय नागरिकता को लेकर चुनाव याचिका दायर की गयी। बाद में यह सामने आया कि उनका नाम बांग्लादेश की मतदाता सूची में भी दर्ज था। इस मामले पर हाईकोर्ट की आगामी सुनवाई से यह स्पष्ट होगा कि अदालत क्या निर्णय लेती है।