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पीएम मोदी ने भी सीएम योगी के नारे को समर्थन देते हुए ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नये रूप में पेश किया

पीएम मोदी ने भी सीएम योगी के नारे को समर्थन देते हुए ‘एक हैं तो सेफ हैं’ के नये रूप में पेश किया

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भाजपा की चुनावी रणनीति में ब्रम्हास्त्र साबित हो रहा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा !

Up news : झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उपचुनावों के मद्देनजर विपक्ष के जातीय राजनीति पर अतिशय जोर को देखते हुए भाजपा की चुनावी रणनीति अब पूरी तरह हिंदू मतदाताओं की एकता पर फिर से केंद्रित हो गई है। इस रणनीति पर अमल करने में सीएम योगी का नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ ब्रम्हास्त्र साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ के नारे को अपनाते हुए एक नये रूप में प्रस्तुत किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने नया नारा दिया है, ‘एक हैं तो सेफ हैं।’ नये स्लोगन में भी वही संदेश है जो योगी आदित्यनाथ के नारे में है, हालांकि मोदी का नया नारा पुराने वाले जैसा तो बिलकुल नहीं है।

विपक्ष की बौखलाहट बढ़ती जा रही

वैसे आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत भी सीएम योगी के नारे का एक प्रकार से समर्थन करते हुए हिंदू एकता पर जोर दे चुके हैं। चुनावी माहौल पर भाजपा की इस रणनीति के व्यापक प्रभाव को देखते हुए विपक्ष की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। कोई जवाब न सूझने पर विपक्षी नेता भाजपा और उसके दिग्गजों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। जाहिर तौर पर इसका फायदा भाजपा को ही हो रहा है।

नये नारे का संदेश तो बिलकुल यू-टर्न लेने जैसा है

दरअसल, केंद्र की सत्ता में आने के बाद से भले ही चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी को वोट दिलाने के लिए लोगों को ‘श्मशान और कब्रिस्तान’ जैसी बहसों में उलझाते रहे हों, लेकिन बाकी दिनों में ज्यादा जोर ‘सबका साथ सबका विकास’ पर ही देखने को मिलता रहा है। बाद के दिनों में भी उस नारे में कभी ‘सबका विश्वास’ तो कभी ‘सबका प्रयास’ जोड़ दिया जाता रहा है। लेकिन नये नारे का संदेश तो बिलकुल यू-टर्न लेने जैसा है। ‘एक हैं, तो सेफ हैं’ दरअसल योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जैसा ही भाव पेश करता है और ये दोनों ही नारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से हिंदुत्व और हिंदुओं की एकजुटता पर जोर देने वाली बातों को लगातार प्रमोट करने की रणनीति का हिस्सा लगते हैं।

कांग्रेस जाति से जाति को लड़ाने का खेल रही खेल

चुनाव अभियान के तहत महाराष्ट्र पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नये नारे ‘एक हैं तो सेफ’ का मतलब मिसाल देकर समझाने की कोशिश की। वह कह रहे थे, कांग्रेस द्वारा एक जाति को दूसरी जाति से लड़ाने का खतरनाक खेल खेला जा रहा है और ये खेल इसलिए खेला जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस कभी दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों को आगे बढ़ते नहीं देख सकती। प्रधानमंत्री मोदी अपने तरीके से समझाने की कोशिश कर रहे थे कि आजादी के समय बाबा साहेब अंबेडकर ने बहुत कोशिश की थी कि शोषितों-वंचितों को आरक्षण मिले। लेकिन नेहरू जी अड़े हुए थे कि किसी भी कीमत पर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण नहीं दिया जाएगा।

बड़ी मुश्किल से बाबा साहेब दलितों और पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान करा पाये

बड़ी मुश्किल से बाबा साहेब दलितों और पिछड़ों के लिए आरक्षण का प्रावधान करा पाये। नेहरू के बाद इंदिरा आईं, आरक्षण के खिलाफ उनका भी वैसा ही रवैया रहा। उनका भी मकसद यही था कि किसी भी कीमत पर एससी, एसटी, ओबीसी को प्रतिनिधित्व न मिलने पाये। फिर पीएम बोले, सोचिये- अलग-अलग जातियों में टूटने से आप कितने कमजोर हो जाएंगे। इसलिए मैं कहता हूं कि एक हैं तो सेफ हैं। हमें एकजुट रहकर कांग्रेस के खतरनाक खेल को नाकाम करना है और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ते रहना है।

योगी आदित्यनाथ ने भी उत्तर प्रदेश के उपचुनावों को देखते हुए ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दिया था जिसके बाद यूपी के अलावा महाराष्ट्र के कई शहरों में उनके स्लोगन वाले पोस्टर लगाये गये थे और जब उसी बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी स्टाइल में ‘एक हैं तो सेफ हैं’ बोल कर पेश किया तो बीजेपी की तरफ अखबारों में विज्ञापन भी दिये गये।

धीरे-धीरे इस नारे का मतलब भी साफ होता जा रहा

विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान अब इस बात पर कुछ ज्यादा ही जोर देखने को मिल रहा है और धीरे-धीरे इस नारे का मतलब भी साफ होता जा रहा है और अहमियत भी समझ में आने लगी है। 2023 के आखिर में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पहली बार जातीय राजनीति पर जोर देखा गया था। चुनावों से पहले ही बिहार से जातिगत गणना की मांग उठी थी और चुनाव अभियान के दौरान राहुल गांधी कांग्रेस की तकरीबन हर रैली में यह मांग जोर शोर से उठाते रहे लेकिन कांग्रेस को तेलंगाना छोड़कर किसी भी राज्य में कामयाबी नहीं मिल पाई थी। बीजेपी सतर्क जरूर थी, लेकिन तब उसे लगा नहीं कि जातीय राजनीति कोई खास असर दिखा सकती है। विचार विमर्श के लिए बीजेपी ने ओबीसी नेताओं की कुछ बैठकें भी बुलाई और केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक सभाओं में कहा भी कि बीजेपी को जातीय जनगणना से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सही वक्त पर फैसला लिया जाएगा। लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा ने सबक लेते हुए ज्यादा अलर्ट होकर आक्रामक रणनीति अपनाई है और यह नारे उसी का परिणाम हैं।

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