Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

शराबबंदी पर लोगों के गले नहीं उतर रहा प्रशांत किशोर उर्फ पीके का फलसफा !

शराबबंदी पर लोगों के गले नहीं उतर रहा प्रशांत किशोर उर्फ पीके का फलसफा !

Share this:

जन सुराज के नाम पर लायेंगे दारू राज, क्या बापू के आदर्शों के खिलाफ है PK की शराब नीति ? सीएम नीतीश कुमार ने इशारों में कह दी बड़ी बात

New Delhi news, Bihar news : अपने जन सुराज आंदोलन को सियासी पार्टी बनाकर इसके जरिये राजनीति में उतरने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार में शराबबंदी कानून को रद्द करने की जोरदार वकालत कर रहे हैं जिससे राज्य को हर साल 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। उनका मानना है कि शराबबंदी हटाकर शिक्षा क्षेत्र में सुधार हेतु धन जुटाया जा सकता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर उर्फ पीके के इस विचार की कड़ी आलोचना की है।

दरअसल, बिहार में नई सोच वाली सरकार लाने वाले प्रशांत किशोर भले राजनीति के नए केंद्र बन गए है। लेकिन उनकी राजनीति में अपने ही विरुद्ध खड़े होने के तत्व चौंका भी रहे हैं। आश्चर्य तो यह है कि जिन आइकन को झंडे में जगह देकर वह राजनीति का आधार गढ़ रहे हैं, उनके आदर्शों के विरुद्ध खड़े भी हो रहे हैं। इस फलसफे पर राजनीति गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है तो वह है बापू के भक्त प्रशांत किशोर की शराब नीति। महात्मा गांधी की जन्म तिथि पर ही जन सुराज के नायक प्रशांत किशोर के वक्तव्य चौंकाते हैं। इस दिन वे खुलकर बोलते हैं कि जन सुराज की सरकार बनती है तो एक घंटे के अंदर शराबबंदी कानून को रद्द करवा दूंगा। प्रशांत किशोर का दावा है कि शराबबंदी से बिहार को हर साल 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। जन सुराज के नायक प्रशांत किशोर मानते हैं कि राज्य में शिक्षा में सुधार करने के लिए 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आवश्यकता होगी। हम शराब बंदी हटाकर पैसे जुटाएंगे, जो सालाना 20,000 करोड़ रुपये है।

जन सुराज के आइकन महात्मा गांधी शराब सेवन को एक बुराई से ज्यादा एक बीमारी मानते हैं। बापू ने कहा था-‘मैं शराब को चोरी और शायद वेश्यावृत्ति से भी ज्यादा निंदनीय मानता हूँ। शराब की आदत वाले शासकों के कारण कई साम्राज्य नष्ट हो गए। यह राक्षसी बुराई निस्संदेह रोमन साम्राज्य के पतन में सहायक कारकों में से एक थी। अगर मुझे एक घंटे के लिए पूरे भारत का तानाशाह नियुक्त किया जाए, तो सबसे पहले बिना किसी मुआवजे के सभी शराब की दुकानें बंद कर दूंगा, सभी ताड़ी के पेड़ों को नष्ट कर दूंगा।’ शिक्षा सुधार को लेकर महात्मा गांधी का मानना था कि यह देश के लिए बहुत अपमानजनक बात है कि उसके बच्चे शराब से होने वाले राजस्व से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। अगर हम शराब की बुराई को रोकने का बुद्धिमानी से फैसला नहीं करते हैं, तो हम भावी पीढ़ी के अभिशाप के पात्र होंगे, भले ही हमें अपने बच्चों की शिक्षा का बलिदान क्यों न करना पड़े। लेकिन हमें इसकी जरूरत नहीं है।

‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’, यह नारा पीके का दिया हुआ है। पर आज अपने इस वक्तव्य से दूर हो कर पीके कहते है कि नीतीश कुमार कुर्सी बचाने के चक्कर में वह 2015 में किए गए अपने सात निश्चयों तो भूल ही गए। साथ इसके 12 लाख नई नौकरी देने का ऐलान करना भी चुनावी जुमला हो गया।। नाली-सड़कों का पक्कीकरण लिए जाने के में 80 करोड़ की इस योजना में केवल भ्रष्टाचार हुआ है। असलियत में इसपर कोई काम नहीं हुआ है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पीके के नीति पर फायर हैं। उन्होंने पीके को इशारों-इशारों में जमकर निशाना साधा है। सीएम नीतीश ने कहा कि कुछ लोग बापू (महात्मा गांधी) का चेहरा दिखाकर शराबबंदी के खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं। राज्य में 2016 से शराबबंदी लागू है। इसके बाद बिहार में 90 फीसदी लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। यह अच्छी बात है।

Share this: