Health and Lifestyle : सेहत को संतुलित और बुलंद रखने के लिए भोजन के सभी अवयवों का सेवन हिसाब से करना जरूरी होता है। पोषण विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे भोजन में जब पोषक तत्वों की कमी होती है तो बच्चा हो या जवान या बूढ़ा, वह उसके असर को झेलता है। बच्चों में अगर पोषक तत्वों की कमी होती है, तो वह कुपोषण का शिकार होता है और उसका ग्रोथ बाधित होता है। जवान में अगर पोषक तत्वों की कमी हो तो उसकी एनर्जी घट जाती है और बूढ़े में पोषक तत्वों की कमी हो तो वह तमाम बीमारियों का शिकार हो जाता है। मतलब साफ है कि सही मात्रा में पोषक तत्वों का लेना जरूरी है।
संतुलित मात्रा पर दें ध्यान
हम जानते हैं कि हमारे भोजन के लिए प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, मिनरल्स, विटामिंस और पानी जरूरी है। सबसे अधिक ऊर्जा वसा से मिलती है, लेकिन भोजन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा प्रोटीन होता है। कार्बोहाइड्रेट भी जरूरी है, लेकिन प्रोटीन की कमी से सेहत पर ज्यादा खराब असर पड़ता है। पोषण विशेषज्ञ बताते हैं कि दलों से हमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिलता है, लेकिन चिकित्सकों की राय में अगर हम आवश्यकता से अधिक दाल खाएं तो उसकी वजह से कई बीमारियां पैदा होने लगती हैं। इसलिए हमें दाल खाते समय उसकी संतुलित मात्रा पर ध्यान देना जरूरी है।
अधिक खाए तो बिगड़ेगा हाजमा
डॉक्टरों की राय में दाल का बहुत ज़्यादा सेवन करने के बजाय इसे सब्ज़ियों व होल ग्रेन के साथ मिक्स करके खाना ज्यादा फायदेमंद है। अगर आप जरूरत से ज्यादा दाल का सेवन करते हैं तो इससे आपको डाइजेशन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल, दाल में कॉम्पलेक्स प्रोटीन और फाइबर होते हैं, जिन्हें पचाना मुश्किल हो सकता है, जिससे गैस और सूजन हो सकती है। इतना ही नहीं, कुछ प्रकार की दाल सेंसेटिव लोगों में एसिडिटी का कारण बन सकती है।
वजन बढ़ने की समस्या और किडनी पर असर
डॉक्टरों की राय में सामान्य रूप से यह समझा जाता है कि वेट लॉस के लिए दाल खाना लाभदायक है लेकिन वास्तव में अधिक दाल खाने से वजन बढ़ाने की समस्या पैदा हो सकती है। दाल का अधिक सेवन किडनी से जुड़ी समस्या भी पैदा कर सकता सकता है। दाल में प्रोटीन और प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है, जो यूरिक एसिड लेवल को बढ़ा सकता है और किडनी पर दबाव डाल सकता है। इसलिए अधिक दाल खाने से बचना चाहिए।