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हजारों करोड़ के ठेके दिये जाने के अधिकार पर उठा सवाल

हजारों करोड़ के ठेके दिये जाने के अधिकार पर उठा सवाल

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जल जीवन मिशन का हर घर नल से जल योजना में गाइडलाइंस का भी पालन नहीं किया गया

जिन कंपनियों को ठेके मिले, खुद काम नहीं कर पेटी कॉन्ट्रैक्टर से करवाया

योग्यता और अनुभव के अभाव में इन छोटे ठेकेदारों से टंकिया बनवायी गयीं

सीतापुर, मथुरा में टंकियां हुईं धाराशायी, शाहजहांपुर में टंकी की सीढ़ियां ध्वस्त

Lucknow News: राज्य पेयजल मिशन के तहत हर घर नल से जल योजना के तहत हजारों करोड़ रुपए के टेंडर दिये जाने के अधिकार पर भी सवाल उठा है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में राम सेवक शुक्ल की ओर से जो जनहित याचिका दायर की गयी, उसमें सवाल उठाया गया है कि भारत सरकार के जल जीवन मिशन की गाइडलाइंस के तहत राज्य पेयजल मिशन एक एक्जक्यूटिव कमेटी बनाएगी, उस कमेटी में कई सदस्य होंगे, जो हर घर नल से जल योजना के कार्यों के लिए निर्णय करेगी और टेंडर आदि पास करेगी। उत्तर प्रदेश में ऐसी कोई एक्जक्यूटिव कमेटी बनायी ही नहीं गयी। हालांकि प्रदेश सरकार की ओर से हाईकोर्ट में इस मुकदमे में जो शपथ पत्र दाखिल किया गया है, उसमें कहा गया है कि एक्जक्यूटिव कमेटी बनायी गयी है। मगर इस शपथ पत्र में एक्जक्यूटिव कमेटी गठित किये जाने का कोई साक्ष्य नहीं संलग्न किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से यह सवाल भी उठाया गया है कि अगर एक्जक्यूटिव कमेटी बनायी गयी है, तो उस कमेटी में कौन-कौन सदस्य हैं, जिनके हस्ताक्षर से निर्णय लिए गए। ऐसी कमेटी न बनने की वजह ही है कि जिन ठेका एजेंसियों को काम दिये गये उन्होंने खुद काम न करके पेटी कॉन्ट्रैक्टर बनाए, जिन्होंने काम किये। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इन पेटी ठेकेदारों के पास कोई तकनीकी क्षमता या योग्यता थी? अगर ऐसा होता, तो शायद राज्य के विभिन्न जिलों में इस योजना के तहत बनवाए गए ओवरहेड टैंक धराशायी न होते। 25 अगस्त को सीतापुर जिले के चितहला गांव में ऐसा ही एक ओवरहेड टैंक निर्माण कार्य पूरा होने के बाद टेस्टिंग के दौरान धाराशायी हो गया। बलरामपुर में भी निर्माणाधीन ओवरहेड टैंक की स्टेजिंग के ऊपर स्थापित किया गया जिंक एल्म्यूनियम कंटेनर ध्वस्त हो चुका है। पिछले दिनों मथुरा में ऐसी ही एक टंकी गिर गयी, जिसमें तीन बेकसूर लोगों की जान चली गयी। मीडिया की पड़ताल में वजह यह सामने आयी कि इन ओवरहेड टैंक का निर्माण जहां पर करवाए जा रहे हैं, वहां की मिट्टी की जांच करवाए बगैर बनवाए जा रहे हैं। सीतापुर के चितहला गांव के प्रधान सुरेन्द्र कुमार मिश्र ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा कि उनके गांव में यह ओवरहेड टैंक साल भर से बन रहा था, कंपनी सीधे काम नहीं कर रही थी, बल्कि उसने पेटी ठेकेदार को काम दिया। ग्राम प्रधान मिश्र के अनुसार, ‘हमने पेटी ठेकेदार से कहा कि कॉलम टेढ़ा जा रहा है, लेकिन ठेकेदार ने नहीं सुनी। विभागीय जेई ने भी टोका, कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने कहा कि सब सही है। नतीजा टंकी गिर गयी।’ मामले की जांच हुई। जांच रिपोर्ट जल निगम के चीफ इंजीनियर राम भवन राम और सुप्रीटेंडेट इंजीनियर  संजय कुमार गुप्ता ने तैयार की थी। इस जांच रिपोर्ट में कहा गया कि कॉलम और बीम में लगायी गयी सरिया में जंक लगा मिला। कॉलम और बीम में कंक्रीट ठीेक से नहीं भरी गयी। पानी और सीमेंट का अनुपात सही नहीं था। सरिया की ओवरलैपिंग ठीक से नहीं की गयी। बीम और कॉलम सही ढंग से नहीं जोड़े गए। इस घटना के दो ही दिन पहले सीतापुर के जेई संजीत कुमार का एक पत्र भी काबिलगौर है। इस पत्र के अनुसार वहां के हरिपालपुर गांव की टंकी की टाई बीम और कॉलम में अधिक मात्रा में कंक्रीट और छोटे-छोटे छेद व खाली जगह है। कंपनी ने रिबाउंड हैमर टेस्ट भी नहीं करवाया, इसलिए जांच रिपोर्ट के बगैर भुगतान न किया जाए।

पिछले साल जुलाई के पहले हफ्ते में शाहजहांपुर के सिंधौली ब्लॉक के मूरछा गांव में बन रही पानी की टंकी की सीढ़ियां अचानक ढह गयीं। एक मजदूर भी घायल हो गया। उसके बाद से वहां काम ही नहीं शुरु हुआ। प्रदेश के अन्य जिलों में बन रही इन टंकियों के निर्माण की गुणवत्ता पर उठते इन सवालों का जवाब जल निगम का प्रबंधन नहीं दे रहा। इस बारे में भी प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण पेयजल आपूर्ति उत्तर प्रदेश अनुराग श्रीवास्तव से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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