Saur bajar, Saharsa news: अखिल राष्ट्रीय संतमत सत्संग के संस्थापक आचार्य महर्षि स्वामी योगानंदजी महाराज की जयंती पर महर्षि मेंही योगाश्रम, बैजनाथपुर में 9 दिवसीय नवाह ध्यान शिविर सह संतमत सत्संग का आयोजन किया जाएगा, जो 26 जनवरी से 3 फरवरी तक चलेगा। शिविर में देश के विभिन्न हिस्से से संतमत से जुड़े लगभग 10 हजार से अधिक भक्तों के आने का संभावना है। इसको लेकर तैयारी जोर-शोर से चल रही है।
2000 में हुआ था स्थापित
उत्तर बिहार के प्रतिष्ठित महर्षि मेंही संतमत सत्संग योगाश्रम की स्थापना वर्ष 2000 में स्वामी योगानंदजी महाराज द्वारा की गई थी। तब से इस क्षेत्र में सत्संग का प्रचार प्रसार शरू हुआ और आज लाखों की संख्या में श्रद्धालु श्रद्धा और विश्वास के साथ आश्रम से जुड़े हुए हैं। आश्रम के व्यवस्थापक गुरु प्रसाद बाबा ने जानकारी देते हुए बताया कि अखिल राष्ट्रीय संतमत सत्संग महासभा द्वारा स्वामी योगानंदजी की 65 वीं जयंती पर प्रत्येक वर्ष यहां आयोजित ध्यान साधना शिविर और सत्संग में देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों के शामल होने आते हैं। सुदूर क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के साथ-साथ भोजन पानी समेत अन्य व्यवस्था की जा रही है। ताकि, उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो।
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शिविर में 151 साधक लेंगे भाग
स्वामी योगानंद जी महाराज ने बताया कि कार्यक्रम में 151 साधक भाग लेंगे। साधकों के भाग लेने की प्रक्रिया निःशुल्क है। आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं के प्रति गुरु महाराज की असीम कृपा है। अगर स्कूली शिक्षा की बात करे, तों उन्होंने वैदिक साहित्य और भौतिक शास्त्र दोनों में डिग्री हासिल की है।
श्रद्धालुओं की बढ़ती जा रही है आस्था
सैकड़ों लोगों की मनोकामना गुरु महाराज के दर पर पूर्ण हो चुकी है। आश्रम और संतमत के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती जा रही है। ईश्वर की प्राप्ति के लिए गुरु एकमात्र साधन है, जो ईश्वर से जुड़ने का रास्ता बता सकते हैं। उन्होंने बताया कि मनुष्य को सत्संग करना चाहिए, जो मनुष्य भवसागर से पार पाना चाहते हैं, तो संतो के शरण में आए और उनसे भक्ति की मुक्ति जानकारी ध्यान करके अपना परम कल्याण करना चाहिए।
बार-बार नहीं मिलता मनुष्य का शरीर
उन्होंने कहा कि मनुष्य का शरीर बार-बार नहीं मिलता है। इसलिए उसे ज्ञान योग भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए। ताकि, सुख दुखात्मक बंधनों से मुक्ति होकर जन्म मरण के चक्र से परे परमात्मा में विलीन हो सके। मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिए गुरु भक्ति ही एकमात्र रास्ता है। इस ध्यान साधना शिविर में समस्त आश्रमवासी एवं क्षेत्रीय धर्म प्रेमीगण का सहयोग मिल रहा है।