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संभल हिंसा : न्यायिक आयोग ने कर्मचारियों के बयान किए दर्ज

संभल हिंसा : न्यायिक आयोग ने कर्मचारियों के बयान किए दर्ज

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पीड़ितों को जिंदा जलाने का दावा, हलफनामे और अन्य दस्तावेज जमा

Sambhal news: पिछले साल 24 नवंबर को संभल में शाही जामा मस्जिद में सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित न्यायिक आयोग के सदस्यों ने गुरुवार को सरकारी कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि आयोग के सदस्य बयान दर्ज करने के लिए चंदौसी रोड स्थित पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में रुके हुए हैं।

चार लोगों की मौत हो गई थी

आयोग में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश देवेंद्र अरोड़ा, पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरविंद कुमार जैन और उत्तर प्रदेश के पूर्व अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद शामिल हैं। संभल में भड़की हिंसा के बाद आयोग का गठन किया गया था, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए थे। आयोग ने इससे पहले एक दिसंबर और 21 जनवरी को संभल का दौरा किया था। पिछले दौरे के दौरान हिंसा के संबंध में आयोग के पास 51 शिकायतें दर्ज की गई थीं। संभल में वर्ष 1978, 1986 और 1992 में हुए दंगों के पीड़ितों ने उन वारदात की जांच के लिये न्यायिक आयोग गठित करने की मांग करते हुए गुरुवार को इस सिलसिले में उप जिलाधिकारी को एक ज्ञापन दिया। संभल में पिछले साल 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के मामले की जांच के लिये गठित न्यायिक आयोग के सदस्यों द्वारा लोक निर्माण विभाग के अतिथि गृह में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान दर्ज किए गए। इस बीच वर्ष 1978, 1986 और 1992 में संभल में हुए दंगों के पीड़ित जुलूस के रूप में अतिथि गृह पहुंचे और उप जिलाधिकारी वंदना मिश्रा को एक ज्ञापन सौंपा।

किशन सिंह और दादी नरेनी को जिंदा जला दिया था

उप जिलाधिकारी मिश्रा ने बताया कि संभल में पूर्व में हुए दंगों के पीड़ितों ने उन घटनाओं की जांच के लिये न्यायिक आयोग के गठन की मांग करते हुए इस सिलसिले में एक ज्ञापन सौंपा है, जिसे आयोग को दे दिया जाएगा। वर्ष 1978 में संभल में हुए दंगे के पीड़ित मनोज कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि हिंसा के दौरान उनके दादा किशन सिंह और दादी नरेनी को जिंदा जला दिया गया था। उन्होंने बताया कि इस मामले में उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला है तथा सरकार इन दंगों की न्यायिक जांच के लिये एक आयोग का गठन करके असलियत को सामने लाए। इसके अलावा 1978 के ही दंगों के पीड़ित विष्णु शंकर रस्तोगी ने कहा कि उस दंगे में उनकी दुकान जला दी गई थी, जिससे उन्हें बहुत बड़ा नुकसान हुआ था, मगर उन्हें सिर्फ 200 रुपये का मुआवजा मिला था। उन्होंने मांग की कि उन्हें हुए नुकसान का पुनर्निर्धारण किया जाए और सरकार 1978 के दंगों की जांच दोबारा कराए। संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि न्यायिक आयोग ने गुरुवार को तीसरी बार संभल का दौरा किया और सभी संबंधित अधिकारियों के बयान दर्ज किए गए और उनकी ओर से गवाही के तौर पर हलफनामे भी पेश किए गए। उन्होंने कहा कि जब भी न्यायिक आयोग आता है, तो आधिकारिक पत्र के माध्यम से पहले ही सूचना दे दी जाती है कि किसके बयान दर्ज किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह तीसरी बार है जब अधिकारियों के बयान लिए गए हैं। न्यायिक आयोग के सदस्य ए. के. जैन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हलफनामे और अन्य दस्तावेज जमा किए गए हैं, तथा उनकी पुष्टि भी हो गई है।  उन्होंने कहा कि अगले दौरे के दौरान शेष कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

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