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भारत-न्यूजीलैंड के बीच छह करार, चार घोषणाएं

भारत-न्यूजीलैंड के बीच छह करार, चार घोषणाएं

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– दोनों देशों के बीच वार्ता के बाद संयुक्त वक्तव्य जारी 

– आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर विचारों का हुआ आदान-प्रदान

– बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर बनी सहमति

– भारत ने खालिस्तान का विषय उठाया

New Delhi news : भारत और न्यूजीलैंड के बीच छह करार हुए हैं। यह रक्षा, आर्थिक क्षेत्र, बागवानी-कृषि, पर्यावरण, शिक्षा और खेल के क्षेत्र से जुड़े हैं। इसके अलावा चार घोषणाएं की गयी हैं। भारत-न्यूजीलैंड एफटीए तथा कौशल एवं प्रशिक्षित मानव संसाधन की आवाजाही पर वार्ता करेंगे। न्यूजीलैंड हिन्द-प्रशात सागरीय पहल (आईपीओआई) से जुड़ा है और आपदा अनुकुल बुनियादी ढांचा के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) का सदस्य बना है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन 16-20 मार्च की भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री लक्सन का गर्मजोशी भरा और पारम्परिक स्वागत किया गया। दिल्ली के हैदराबाद हाउस में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय वार्ता की। प्रधानमंत्री लक्सन ने वार्ता से पहले राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धाजंलि अर्पित की और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री लक्सन के साथ रायसीना संवाद के 10वें संस्करण का उद्घाटन किया।

दोनों देशों के बीच वार्ता के बाद संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया। संयुक्त वक्तव्य के अनुसार दोनों प्रधानमंत्रियों ने आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर विचारों का आदान-प्रदान किया और बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। भारत और न्यूजीलैंड एक खुले, समावेशी, स्थिर और समृद्ध हिन्द प्रशांत के मजबूत पक्षधर हैं। दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के लोगों के बीच मजबूत सम्बन्धों को रेखांकित किया। न्यूजीलैंड में भारतीय मूल की आबादी लगभग छह प्रतिशत है। दोनों नेताओं ने भारतीय समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्त्व पर सहमति व्यक्त की।

वार्ता के बाद सचिव (पूर्व) जयदीप मजुमदार ने बताया कि वार्ता के दौरान खालिस्तान का भी मुद्दा उठा। उन्होंने बताया कि हम अपने दोस्तों को उनके देशों में भारत-विरोधी तत्त्वों की गतिविधियों और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग के लिए सचेत करते हैं। इसमें आतंकवाद को महिमामंडित करने और हमारे राजनयिकों, संसद या भारत में हमारे इवेंट पर हमलों की धमकी देने जैसे विषय शामिल हैं। न्यूजीलैंड की सरकार संवेदनशील है और अतीत में भी हमारी चिंताओं का संज्ञान लेती रही है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और न्यूजीलैंड के बीच व्यापार और निवेश सम्बन्धों को बढ़ाने के लिए अपनी अप्रयुक्त क्षमता का एहसास करने और समावेशी एवं टिकाऊ आर्थिक विकास में योगदान करने के लिए सहमति व्यक्त की। दोनों नेताओं ने रक्षा सहयोग के लिए भारत-न्यूजीलैंड के ज्ञापन के हस्ताक्षर का स्वागत किया।

इससे पहले संयुक्त प्रेस वक्तव्य में रक्षा क्षेत्र में हुए समझौते पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा कि यह रक्षा सम्बन्धों को बढ़ाने की हमारी महत्त्वाकांक्षा को दर्शाता है और हमारी रणनीतिक साझेदारी में एक महत्त्वपूर्ण नया आयाम जोड़ता है। सहयोग के विभिन्न नये क्षेत्रों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए उनकी सरकार का मनना है कि हमें भारत में अधिक कर्मियों की आवश्यकता होगी। यही कारण है कि न्यूजीलैंड भारत में राजनयिक उपस्थिति को 60 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने पर विचार कर रहा है। यह सम्बन्धों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है और इसे बढ़ता हुआ देखने की महत्त्वाकांक्षा रखता है।

इसे सचिव (पूर्व) ने भी पत्रकार वार्ता में रेखांकित किया और कहा कि पीएम लक्सन ने भारत में उनकी राजनयिक उपस्थिति को बढ़ाने की प्राथमिकताओं के बारे में बताया और उन्होंने कहा कि वह भारत में अपने दूतावास और वाणिज्य दूतावासों की क्षमता को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।

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