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छात्रों ने बालों से बनाया खाद, बिना मिट्टी के ही उगेगी 15 से अधिक सब्जियां 

छात्रों ने बालों से बनाया खाद, बिना मिट्टी के ही उगेगी 15 से अधिक सब्जियां 

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New Delhi news : आपको यह सुनने में भले ही आश्चर्य लगे, परंतु है सच। अब आप बिना मिट्टी के 15 से अधिक सब्जियां और फल-फूल उगा सकेंगे। यह संभव हो सकेगा बालों से तैयार तरल खाद से, जिसे तैयार किया है सोदपुर देशबंधु विद्यापीठ के शिक्षकों और छात्रों ने। इस खाद से उपजाई गईं सब्जियां न सिर्फ स्वास्थ्यवर्धक होंगी, बल्कि यह खाद बाजार में उपलब्ध खाद से अपेक्षाकृत सस्ता भी होगा और उपज भी कहीं अधिक देगा। बहरहाल, इस खाद की चर्चा पूरे देश में हो रही है। खाद तैयार करने की यह विधि जिला और राज्य स्तर से होते हुए राष्ट्रीय स्तर तक की प्रदर्शनी में अपना परचम लहरा चुका है।

1.2 ग्राम बालों से तैयार होता है 2 लीटर ऑर्गेनिक तरल खाद 

इस प्रोजेक्ट के प्रमुख शोधकर्ता व शिक्षक पशुपति मंडल के अनुसार बालों में पौधों को ग्रो करने वाले सारे तत्व मौजूद होते हैं। उनका दावा है कि 1.2 ग्राम बालों से 2 लीटर ऑर्गेनिक तरल खाद प्राप्त होता है उर्मिला इसके लिए 1.2 ग्राम बालों को 1 घंटे तक नाइट्रिक एसिड में भिगोकर रखा जाता है। इसके बाद इसमें एक निश्चित अनुपात में हाइड्रोजन पेरोक्साइड मिलाया जाता है। फिर इस मिश्रण में सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ 2 लीटर पानी मिला देने से पौधों के लिए जैविक खाद तैयार हो जाता है। इसकी लागत की बात करें तो यह 80 से ₹100 आता है जो कि बाजार में उपलब्ध अन्य खाद से कहीं सस्ता है।

बालों में मौजूद है वे सारे तत्व,जो पौधों को ग्रो करने के लिए है उपयोगी

शोधकर्ता के अनुसार पौधों की ग्रोथ के लिए जिन अवयवों की जरूरत होती है, वह सब कैरोटीन व प्रोटीन जातीय चीजों में ही मिलती है। अतः उन्होंने मनुष्य के बाल को ही इसका अच्छा स्रोत मानकर शोध प्रारंभ किया, क्योंकि मनुष्य के बालों में प्रोटीन के साथ ही पोटैशियम, मैग्निशियम और नाइट्रोजन जैसे कई जरूरी अवयव मौजूद होते हैं। उन्होंने बताया कि अपनी ओर से सारे परीक्षण करने के बाद इस प्रोजेक्ट को पहले जिला स्तर पर रखा गया, जहां इसका चुनाव राज्य स्तर के लिए हुआ और अंत में गुजरात के अहमदाबाद में 27 से 31 जनवरी तक आयोजित राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी में 600 प्रोजेक्ट के बीच इस प्रोजेक्ट को काफी प्रोत्साहन मिला।  उनका कहना है कि या खाद किसी भी रासायनिक खाद की तुलना में बहुत प्रभावी है। जरूरत है इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में आर्थिक सहयोग की।

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