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सबसे अच्छा यही है कि अच्छा हुआ जाये!!  

सबसे अच्छा यही है कि अच्छा हुआ जाये!!  

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राजीव थेपड़ा

जी हां, बेहतरीन होना ही एकमात्र विकल्प है। जिन्दगी में हमें पता नहीं चलता कि हम किस रास्ते पर चल रहे हैं और हमारा उद्देश्य क्या है। ज्यादातर तो हम महज जीवन-यापन के लिए चलते जाते हैं। चलते चले जाते हैं। जीवन-यापन की इस राह में हमारे साधन क्या हैं ! हमारे मददगार कौन हैं !…और, हमारी अपनी असली जरूरतें क्या हैं ! एक्चुअली इनका हमको पता ही नहीं होता। हम बस, हमारा मन जो कुछ चाहता जाता है, उसकी पूर्ति के लिए अनवरत प्रयासरत रहते हैं ! हमारी इच्छाओं की हम पर इतनी भयंकरतम मालिकियत होती है, कि उनकी बाबत कि वो गलत हैं या सही या वह हमारे जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति में किस प्रकार सहायक हैं या कि हैं भी कि नहीं, ऐसा भी कुछ हम बिल्कुल नहीं जानते। बस ! उनकी पूर्ति के लिए स्वयं को पूरी तरह से खपा देते हैं ! या यूं कहें कि अपना जीवन नष्ट कर देते हैं।

अपनी इच्छाओं की पूर्ति के इसी सिलसिले में अक्सर हम अपना स्वभाव, अपने व्यक्तित्व की असली सुन्दरता खोते चले जाते हैं। हमें यह एहसास ही नहीं हो पाता कि कमाने के चक्कर में जिन रास्तों पर हम चल पड़े हैं, उनमें कमाई तो हो रही है, लेकिन क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है, कैसे हो रहा है ; यह हम या तो जानते नहीं या फिर जान-बूझ कर जानना नहीं चाहते। हम से हर कोई बचपन की मासूमियत से गुजरता है। लेकिन, धीरे-धीरे दुनिया के ढकोसलों से वाकिफ होता हुआ धीरे-धीरे उन्हीं चीजों में गुम हो जाता है जिन चीजों में यह सारी दुनिया खोई पड़ी है !

दोस्तों ! अपने जीवन-यापन के लिए कमाये जानेवाले प्रत्येक रास्तों में बराबर की आपाधापी है। बराबर की प्रतिस्पर्धा है और उस आपाधापी या प्रतिस्पर्धा से पार पाने के हम सबके अपने-अपने तौर-तरीके हैं। लेकिन, हममें से ज्यादातर लोग या तो कोई ना कोई शॉर्टकट चुनते हैं या फिर किसी प्रकार की लम्पटता !! …और, अपने  चुनाव की इन दोनों ही परिस्थितियों में हम लगातार अपना व्यक्तित्व खोते चले जाते हैं ! हमारी मासूमियत खत्म होती चली जाती है और इस प्रकार हमारी आंतरिक सुन्दरता भी क्रमशः गुम होती चली जाती हैं !

इसलिए बेशक, हम बहुत बार बहुत-बहुत पैसे कमा कर, ऊंचे से ऊंचे स्तर की जिन्दगी जी कर भी लगातार असंतुष्ट रहते हैं !  लेकिन, उसका कारण कभी नहीं समझ पाते ! उसका कारण यही है कि हम अपनी कमाई के लिए जो रास्ता चुन रहे हैं, उसमें अक्सर हम अपने ही लोगों को चुन-चुन कर ठग रहे हैं या सभी लोगों को कहीं ना कहीं धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं और जहां किसी को भी धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं, हम अपनी उस सफलता पर खुश भी होते हैं !! लेकिन, एक दूसरी बात यह भी है कि यही बात कहीं ना कहीं हमारी आत्मा को सालती भी रहती है और हम कहीं ना कहीं अकेले भी पड़ते जाते हैं और तब यह अकेलापन किसी भी प्रकार की भीड़ से, किसी प्रकार की पार्टी या किन्हीं भी दूसरी वस्तुओं से दूर नहीं होता !!

 एक्चुअली जीवन में सफलता के जिन मापदंडों को हमने आत्मसात किया हुआ है, वे हमारी आंतरिक खुशियों के बिल्कुल उलट हैं ! हमारी खुशियां बहुत छोटी-छोटी बातों में निहित होती हैं। लेकिन, हम समझते हैं कि हम बड़े-बड़े पद हासिल करके या बहुत सारी दौलत हासिल करके या बहुत सारी जमीन-जायदाद हासिल करके खुशियां पा लेंगे !! लेकिन, दुर्भाग्य से दुनिया में ऐसा ना कभी हुआ और ना कभी होगा !! इसलिए ये जो चीजें हम चुनते हैं अपनी खुशियों के लिए, वे हमें एक्चुअली कभी भी खुश नहीं करतीं और वह कर भी नहीं सकतीं ! इसलिए हमें सफलता के इन तथाकथित मापदंडों को बदल डालना चाहिए। खुशियों के लिए जिन्दगी जीनी चाहिए और खुशियां किसी फुटपाथ पर किसी खोमचेवाले के पास गोलगप्पे और मूंगफली खा कर भी पायी जा सकती हैं ना कि किसी 5 स्टार या 7 स्टार होटल में बैठे हुए अनगिनत व्यंजनों की श्रृंखलाओं को खाते हुए !!

दोस्तों ! खुशियां हमारे आपस में साथ मिल कर बैठने में हैं। खुशियां हमारे आपस में संवाद करने में हैं। खुशियां एक-दूसरे को चुटकुले सुनाने में हैं। खुशियां एक-दूसरे के साथ खुशियां साझा करने में हैं। लेकिन, हम एक-दूसरे के साथ खुशियां साझा तो क्या करेंगे, अपनी खुशियों के लिए दूसरों की खुशियों को छीनने में भी नहीं हिचकिचाते और हम सोचते हैं कि हमें खुशियां मिल जायेंगी ! हम अपने जीवन का इतना-सा मामूली सच भी नहीं जानते कि हम जो बोते हैं, वही काटते हैं ! हम जो देते हैं, बदले में वही वापस पाते हैं !

…तो दोस्तों ! जीवन में इसका एकमात्र विकल्प यही है कि हम एक मनुष्य के तौर पर बेहतरीन से बेहतरीन व्यक्तित्व बनें और इसके लिए क़तई जरूरी नहीं है कि हम किसी बड़े पद पर ही हों ! हम बहुत सारे पैसेवाले हों ! हम एक छोटे से व्यापारी होकर, छोटे-मोटे लेखक या कलाकार, डॉक्टर, इंजीनियर या कुछ भी हो कर एक-दूसरे के साथ अपना मन शेयर करते हुए, अपनी चीजें शेयर करते हुए, अपनी खुशियां शेयर करते हुए इससे बहुत ज्यादा खुश रह सकते हैं ; बनिस्बत कि हम मालामाल होने का प्रयास करें !! किसी बहुत बड़े घर का मालिक होने का प्रयास करें !! किसी बहुत बड़े ऊंचे पद पर होने का प्रयास करें !!

 …और, दोस्तों ! बेहतरीन होने के लिए कुछ विशेष भी नहीं करना पड़ता, सिवाय इसके कि आप जीवन में समाज के साथ बेहतर से बेहतर तरीके से रहने के लिए क्या कर सकते हो…अपनी शक्ति या सामर्थ्य अनुसार प्रत्येक की मदद करने का प्रयास। प्रत्येक के साथ अधिकतम बातें या चीजें साझा करने का प्रयास और प्रत्येक के साथ मिल-जुल कर रहने का प्रयास और जब हम ऐसा करते हैं, तब किसी से भी कुछ भी छीनने या लेने का ख्याल अपने-आप ही हमें अपने आप ही धोखेबाजी लगने लगेगा !

…तो, जरूरत इस बात की है कि हम अपने जीवन में अपने द्वारा की जानेवाली इन तमाम धोखेबाज़ियों को समझें ! दूसरों के साथ मिल-जुल कर रहने का जो भी सक्षम प्रयास हो सकता है, वह सभी प्रयास करें। अपनों का ख्याल रखें और अपने किसी भी भाई-बंधु के साथ में किसी प्रकार की आर्थिक या भावनात्मक धोखेबाजी करने की कोशिश ना करें ! बस,  इसी में हमारा जीवन संवर जायेगा ! बस, इसी में हमें हमारी वह खुशियां मिल जायेंगी, जिनकी कि हम हमेशा चाहत रखते हैं ! कहते हैं ना…गिव एंड टेक !!

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