New Delhi news : सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) और दिल्ली सरकार के बीच विवाद हमेशा के लिए खत्म होना चाहिए। कोर्ट ने यह बात गुरुवार को उस याचिका को बंद करते हुए कही, जिसमें सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के कैशलेस इलाज के लिए ‘फरिश्ते योजना’ को लागू करने की मांग की गई थी।
याचिका वापस लेने की अनुमति
जस्टिस भूषण आर. गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने दिल्ली सरकार को याचिका वापस लेने की अनुमति दी। वरिष्ठ अधिवक्ता शादान फरसात ने अदालत को बताया कि दिसंबर 2023 में याचिका पर नोटिस जारी होने के बाद पीड़ित को भुगतान जारी कर दिया गया था। सुनवाई के दौरान फरसात ने कहा कि एलजी और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच टकराव मुख्य रूप से सेवाओं पर नियंत्रण के लिए है।
दरअसल मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली में अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग पर नियंत्रण रखने के लिए दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। जिसके बाद केंद्र सरकार ने हफ्तेभर के भीतर ही अध्यादेश लाकर इस फैसले को पलट दिया था और फिर बाद में एक कानून के जरिए प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र सरकार के नियंत्रण को बहाल कर दिया था। इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम, 1991 में महत्वपूर्ण संशोधन किए। फिर आप सरकार ने केंद्र के इस कदम को चुनौती दी, जो सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
सरकार का एक विंग दूसरे विंग से क्यों लड़ रहा
अदालत ने दिसंबर 2023 में इस मामले में एक नोटिस जारी करते हुए कहा था कि, ‘हमें समझ में नहीं आता कि सरकार का एक विंग दूसरे विंग से क्यों लड़ रहा है।’ फरासत ने कहा, ‘एक बार संविधान पीठ के फैसले को चुनौती देने का मामला तय हो जाए तो यह मामला सुलझ जाएगा।’ उन्होंने कोर्ट को बताया कि फरिश्ते योजना के तहत 29 करोड़ रुपए के बिलों का भुगतान किया गया है। दिल्ली सरकार ने फरिश्ते योजना को जानबूझकर बंद करने के लिए तत्कालीन स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की। उसने कोर्ट को बताया गया कि इस योजना के तहत सड़क हादसों में घायल लगभग 23,000 पीड़ितों को निजी अस्पतालों में कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान की गई है। याचिका में यह भी बताया गया कि 42 निजी अस्पतालों के बिलों का भुगतान नहीं किया गया है। दिल्ली सरकार की फरिश्ते योजना फरवरी 2018 में शुरू की गई थी, जिसका मकसद सड़क दुर्घटना में घायल पीड़ितों को निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा दिलवाना था। योजना के तहत राज्य सरकार दुर्घटना में घायल मरीजों का इलाज करने के लिए निजी अस्पतालों को पहले घंटे में किए गए उपचार की लागत का भुगतान करती है, जिसे “गोल्डन ऑवर” के रूप में जाना जाता है।