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कुंडली बता देती है कि आपने पिछले जन्म में क्या किया था जुर्म, डरिए नहीं, जानिए…

कुंडली बता देती है कि आपने पिछले जन्म में क्या किया था जुर्म, डरिए नहीं, जानिए…

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Dharm adhyatm, rashifal : लड़का-लड़की की शादी के समय हमारे समाज में यह परंपरा है कि दोनों की जन्म कुंडली मिलाकर और उनके गुण-दोषों का विवेचन किया जाता है। जानकारी यह बताते हैं कि अगर दोनों के इतनी संख्या में गुण मिलते हैं, तो शादी सफल होगी। मतलब साफ है की जन्म कुंडली इस जन्म के साथ-साथ कुछ और भी बताती है। ज्योतिष विज्ञान में इस बात की पुष्टि की गई है। मूल मुद्दा यह है कि क्या किसी की जन्म कुंडली से यह पता किया जा सकता है कि उसके पिछले जन्म की प्रमुख घटनाएं क्या थीं और उसने क्या किया था, कुंडली में ‘योग’ की स्थिति से यह पता चलता है।

महिला को करना पड़ता है संघर्ष

बताया जाता है कि अगर कुंडली अमृत योग को बताती है तो विषयोग को भी बताती है। कुंडली के विषयोग से ही पता चलता है कि कोई शख्स अपने पूर्व जन्म में क्या-क्या अत्याचार या जुर्म किया था। विषयोग यदि महिलाओं की जन्म कुंडली में हो तो उन्हें पुरुष पिता, भाई, पति, पुत्र आदि के रूप में आर्थिक मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते रहते हैं। इस योग से प्रभावित महिला भी अति संघर्ष का सामना करते हुए जीवन का निर्वहन करती है।

शनि और चंद्र का एक साथ बैठना

जानकारों पर विश्वास करें तो ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार किसी भी जातक की जन्मकुंडली में यदि शनि एवं चंद्र एक साथ बैठे हों तो ‘विषयोग’ निर्मित होता है। विषयोग मनुष्य को उसके पूर्व के जन्मों में  दूसरों पर किए गए क्रूर और कठोर आचरण तथा जुर्म की ओर संकेत करता है। व्यक्ति के जीवन में इस योग का असर शत-प्रतिशत घटित होने की बात कही जाती है। इसलिए। विषयोग ज्योतिष शास्त्र के सबसे प्रभावशाली योगों में रखा जाता है।

किस प्रकार दिखता है प्रभाव

ज्योतिषशास्त्री बताते हैं कि जन्मकाल से आरंभ होकर मृत्यु होने तक विषयोग अपने अशुभ प्रभाव देता रहता है। इस योग के समय जन्म लेने वाला जातक यदि कुत्ते को भी रोटी खिलाए तो देर-सवेर वह भी उसे काट लेगा। कहने का तात्पर्य यह है कि इस विषयोग वाली कुंडली का जातक अपने ही मित्रों और सगे संबंधियों द्वारा भी ठगा जाता है। ये जिस किसी भी व्यक्ति की सहायता करते हैं, उनसे ही अपयश मिलता है। कुंडली का विषयोग साफ बताता है कि व्यक्ति ने अपने पूर्व जन्म में जो आचरण किया है, उसके कारण ही इस जन्म में उसका उत्तर उसे भोगना पड़ रहा है। अगर किसी पुरुष ने स्त्री पर अत्याचार किया है तो पुनः वही स्त्री प्रतिशोध लेने के लिए मनुष्य योनि में विषयोग वाले प्राणी की मां, पत्नी, पुत्री, बहन आदि के रूप में आती है।

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