New Delhi news, boliwood news : इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में यदि प्रारंभ से नायिकाओं का इतिहास देखा जाए तो इसमें नरगिस दत्त, मीना कुमारी, वहीदा रहमान, साधना और सुचित्रा सेन जैसी नायिकाएं अपने निधन के बाद भी याद की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि अभिनेताओं में महानायकों की संख्या बहुत कम है। ठीक वैसे ही महानायिकाएं भी बहुत कम हैं। यदि महानायकों की बात करें तो इसकी चर्चा अमिताभ बच्चन को छोड़कर संभव नहीं है। ठीक इसी प्रकार यदि महानायिकाओं की चर्चा करें, तो इसकी चर्चा बांग्ला और हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री सुचित्रा सेन के बिना संभव नहीं है। यदि सुचित्रा सेन को याद करना है, तो सिर्फ आप एक फिल्म ‘आंधी’ से उन्हें याद कर सकते हैं। यह फिल्म तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन पर बनाई गई थी, जिस पर कुछ समय के लिए बैन भी लगी थी। याद कीजिए वह गीत- तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं…
10 साल पहले हुआ था निधन
हम विशेष चर्चा करना चाहते हैं सुचित्रा सेन की। मगर, इसके साथ ही एक तुलना की बात याद आती है। जब से साधना और सुचित्रा सेन ने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ी, तब से मृत्यु तक उनके चेहरे को किसी ने नहीं देखा था। कुछ साल पहले साधना का निधन हुआ था, तब भी उनके चेहरे को नहीं दिखाया गया था। ठीक यही बात आज से 10 साल पहले 2014 में जब सुचित्रा सेन का निधन हुआ था, तब भी किसी ने उनका चेहरा नहीं देखा था। कहा जाता है कि 2014 के पहले पिछले 36 सालों में उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया था। 1931 में बांग्लादेश में इस अभिनेत्री का जन्म हुआ था और निधन कोलकाता में, मगर इस अभिनेत्री के बारे में सर्वाधिक महत्वपूर्ण चर्चा अभी बाकी है। इसे हम आगे बढ़ाएंगे, लेकिन पहले कुछ और बात।
2005 में मिला था दादा साहब फाल्के अवार्ड
फिल्म इंडस्ट्री में दादा साहब फाल्के अवार्ड को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और जिस हस्ती को इससे नवाजा जाता है वाकई उसके योगदान का पूरा आकलन किया जाता है। याद कीजिए, 2019 में महानायक अमिताभ बच्चन को इस सम्मान से सम्मानित किया गया था तो पूरे उनके फिल्मी लाइफ का मूल्यांकन किस प्रकार किया गया था। अब जानिए सुचित्रा सेन के बारे में 2005 में ही सुचित्रा सेन को इस सबसे बड़े अवार्ड से नवाजा गया था, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अवार्ड को लेने के लिए वह मंच पर उपस्थित नहीं थीं।
आईबी मिनिस्टर की नहीं पूरी हुई हसरत
कहा जाता है कि तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे प्रिय रंजन दासमुंशी बहुत चाहते थे कि ये एक्ट्रेस अपना अवार्ड लेने खुद आएं। लेकिन उस एक्ट्रेस ने भारत के सबसे प्रतिष्ठित सिनेमा सम्मान को छोड़कर, जनता की नजरों से दूर, अपने एकांत में रहना चुना। इस फैसले के कारण ही वह इतना बड़ा अवार्ड लेने के लिए और सूचना प्रसारण मंत्री का मान रखने के लिए भी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आईं। 82 साल की उम्र में इस महानायिका का निधन हुआ था। इनकी आगे की पीढ़ी मुनमुन सेन के रूप में आगे बढ़ी। इसके बाद सुचित्रा की पोतियों- रीमा और रिया सेन का भी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ाव रहा, लेकिन सुचित्रा के कद तक कोई नहीं पहुंचा।