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फागुन के बाद बस आने ही वाला है चैत का महीना, भगवान गणेश की पूजा से…

फागुन के बाद बस आने ही वाला है चैत का महीना, भगवान गणेश की पूजा से…

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Dharm adhyatm : आज यानी शुक्रवार और कल यानी शनिवार को लोग होली मना रहे हैं। रविवार से हिंदी का पहला महीना चैत शुरू हो रहा है। हिंदू धर्म में विश्वास किया जाता है कि सभी विघ्नों के विनाशक भगवान श्री गणेश हैं। किसी भी शुभ काम में सबसे पहले पूजा का प्रारंभ भगवान गणेश की पूजा से ही किया जाता है, ताकि किसी भी प्रकार का विघ्न पूजा के समय और पूजा के बाद नहीं आए। 16 मार्च को चैत का महीना शुरू हो रहा है और 17 मार्च को इस महीने का पहला महत्वपूर्ण व्रत संकष्टी चतुर्थी व्रत आ रहा है। चतुर्थी तिथि के दिन व्रत रख रात को चंद्रोदय के समय व्रत का पारण किया जाता है।

प्रत्येक माह पड़ता है दो चतुर्थी व्रत

पंचांग और ज्योतिष की जानकारी बताते हैं कि प्रत्येक महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की तिथि को चतुर्थी का व्रत किया जाता है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है।

सभी दोषों और पापों से मुक्ति

बताया जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भक्त अपनी जीवन में होने वाली हर समस्या से दूर रहते हैं और सभी दोषों और पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह दिन सभी कठिनाइयों, रुकावटों को दूर करता है। भक्तों को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि प्रदान करता है।

सुहागन स्त्रियों के लिए महत्व

संकष्टी चतुर्थी पर सुहागन स्त्रियां सुबह-शाम गणेशजी की पूजा करती है और रात में चंद्रमा के दर्शन और पूजा करने के बाद पति का आशीर्वाद लेती है। इसके बाद व्रत खोला जाता है। इस तरह व्रत करने से संतान की उम्र लंबी होती है। शादीशुदा जीवन में प्रेम के साथ सुख भी बना रहता है।

भगवान गणेश के प्रिय भोग

नैवेद्य के रूप में तिल तथा गुड़ से बने हुए लड्डू, ईख, शकरकंद (गंजी), अमरूद, गुड़ तथा घी को अर्पित करने की महिमा है, अतः सकट चौथ को तिल चौथ तथा तिलकुट चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

पूरे दिन के उपवास का महत्व

नारद पुराण मैं बताया गया है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए। शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा को सुननी चाहिए। इतना ही नहीं संकष्टी चतुर्थी का पूजा से घर में शांति बनी रहती है। घर की सारी परेशानियां दूर होती हैं। ज्योतिष आचार्य बताते हैं संकष्टी चतुर्थी का व्रत नियमानुसार ही संपन्न करना चाहिए, तभी इसका पूरा लाभ मिलता है। इसके अलावा गणपति बप्पा की पूजा करने से यश, धन, वैभव और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

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