Mumbai news, Bollywood news : कहा जाता है कि विरासत लेनी होती है और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी निभानी होती है। विरासत अपने आप हासिल नहीं हो जाती है। संगीत की दुनिया में तो यह और भी कठिन है। यदि कोई व्यक्ति आला दर्जे का संगीत साधक है, तो उसकी अगली पीढ़ी इस विरासत को संभाले ही, यह जरूरी नहीं है। लेकिन, अगर अगली पीढ़ी वास्तव में संगीत की साधना को आगे बढ़ना चाहती है तो उसे विरासत को सहेज कर रखते हुए उसमें और चार चांद लगाती है। यदि भारत की संगीत की दुनिया में एसडी बर्मन को याद करते हैं तो उनके बेटे आरडी बर्मन ने उनकी विरासत को सहेज कर उसमें और योगदान दिया और फिल्मी दुनिया में अपनी तरह का एक नया प्रयोग भी किया। आरडी बर्मन को हम पंचम दा के नाम से भी जानते हैं। आरडी यानी राहुल देव।
हर आवाज से संगीत निकालने का जादू
कहा जाता है कि पंचम दा के हाथों का जादू था, जिसने भारतीय संगीत की दुनिया को नई बुलंदियों तक पहुंचाया। आज भी उनकी बनाई धुनें फिल्मी गानों में बेधड़क इस्तेमाल की जा रही हैं। उनके गाए गीत आज भी म्यूजिक क्लबों और पार्टियों की शान बने हुए हैं। याद कीजिए ‘यादों की बारात’ फिल्म का गाना ‘चुरा लिया है तुमने’ याद आता है। इस गाने का म्यूजिक तैयार करने में पंचम दा ने गिलास का इस्तेमाल किया था। ऐसे ही फिल्म ‘जमाने को दिखाना है’ का गाना ‘होगा तुमसे प्यारा कौन’ में ट्रेन की आवाज लाने के लिए आरडी बर्मन ने सैंड पेपर का इस्तेमाल किया था। पंचम दा ने इसी तरह का प्रयोग शोले फिल्म में भी किया। इस फिल्म के ‘महबूबा-महबूबा’ गाने में भी आधी भरी बोतल में फूंक मारकर गाने का बैकग्राउंड म्यूजिक तैयार किया गया।
रुचि देखकर मुंबई ले गए थे पिता
जैसा कि हम बता चुके हैं सचिन देव बर्मन आरडी बर्मन के पिता थे और वह अपने जमाने के अल संगीत साधन थे। मां मीरा दत्ता रॉय बंगाली फिल्मों की जानी-मानी गायिका थीं। 1972 में बीबीसी लंदन को दिए इंटरव्यू में पंचम दा ने बताया- ‘मेरे हुनर को देखते हुए पिता एसडी बर्मन मुझे अपने साथ बॉम्बे ले आए। बॉम्बे में मैंने बाकायदा साज और संगीत की तालीम ली। उस्ताद अकबर अली खान से सरोद सीखा। समता प्रसाद जी से तबला जबकि सलिल चौधरी ने संगीत की बारीकियां सिखाईं। कहा जाता है कि आरडी बर्मन हर गीतकार के लिए अलग नजरिया रखते थे। चाहें वो गुलजार साहब हो, आनंद बक्शी, मजरूह सुल्तानपुरी या कोई और गीतकार। वो हर राइटर की रूह को समझते थे।
कई फिल्मों में गाना भी गाया
पचंम दा ने कई फिल्मों में गाने भी गाए हैं। उनमें से ज्यादातर हिट रहे हैं। उनका हुनर ऐसा था कि खराब गले में भी गाना गा दें तो सुपरहिट हो जाए। उस दौरान अमिताभ की फिल्म शान की शूटिंग चल रही थी। मोहम्मद रफी साहब ने पंचम दा को यम्मा..यम्मा गाना गाने के लिए बुलाया। इस पर पंचम दा ने कहा मेरा गला खराब है। रफी साहब ने कहा- कोई बात नहीं, तुम अभी गाना गा दो, बाद में हम इसे फिर से रिकॉर्ड कर लेंगे। पंचम दा ने खराब गले में वो गाना गाया। इस बीच मोहम्मद रफी का इंतकाल हो जाता है तो उसे गाना को पंचम दा कोई गाना पड़ा और वह गाना हिट हुआ।