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साग-भात और साग-रोटी खाने का मजा ही कुछ और है, जानना है तो जरा समझिए…

साग-भात और साग-रोटी खाने का मजा ही कुछ और है, जानना है तो जरा समझिए…

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New Delhi news : भारत जैसे देश में सांस्कृतिक रूप से जो विविधता भाषा और वेशभूषा को लेकर देखने को मिलती है, वैसा ही कुछ खान-पान को लेकर भी परिलक्षित होता है। अलग-अलग क्षेत्र में खान-पान की अलग-अलग विशेषताएं अन्य जगहों पर भी प्रभाव डालती हैं। मौसम के अनुसार खानपान में भी बदलाव देखा जाता है। जाड़े के समय में हम तरह-तरह के कुछ अलग-अलग खाते हैं। इस सीजन में खेतों में सरसों और चना का साग खूब होता है और जहां होता है, वहां के लोग चावल और रोटी के साथ इसका इस्तेमाल करते हैं। बिहार उत्तर प्रदेश को देखिए तो साग-भात खाने की रुचि दिखती है, तो पंजाब में साग-रोटी की रुचि। आज जानते हैं कुछ सागों के बारे में।

पंजाब में रोटी-साग का प्रचलन

कहा जाता है कि सरसों का साग पंजाब की बेहद रुचिकर डिश है और ठंड के दिनों में हर घर में बनती है। इस मौसम में भारत के अलग-अलग राज्यों में कई तरह के अलग-अलग पारंपरिक साग बनाए जाते हैं। इस डिश को सरसों के साग और कुछ मसालों का उपयोग करके बनाया जाता है। इसे बनाते समय पालक और बथुआ भी डाला जाता है।

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पश्चिम बंगाल और ओडिशा का की अलग रुचि

जानकार बताते हैं कि ओडिशा में लोग गुंडी साग बड़े चाव से खाते हैं। इस साग को गुंडी के पत्तों की मदद से बनाया जाता है। गुंडी के पत्तों को पारंपरिक ओडिशा के मसालों के साथ पकाया जाता है। साई भाजी दाल, सब्जियों और पालक और अन्य साग का एक बैलेंस है। इसे बनाते समय मौसमी साग जैसे मेथी के पत्ते, डिल और ताजा पालक आदि का इस्तेमाल किया जाता है। उबालने पर, चने की दाल प्रोटीन और क्रीमी टेक्सचर देती है। टमाटर, गाजर और आलू जैसी सब्जियां इस डिश के पोषक तत्वों को बढ़ाती है। लाल साग भाजा विशेष रूप में पश्चिम बंगाल में खाया जाता है। इसे अमरनाथ के पत्ते यानी लाल साग की मदद से तैयार किया जाता है। स्वादिष्ट ही नहीं अत्यंत पौष्टिक भी होता है।

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