Bollywood news, Mumbai news : बॉलीवुड की दुनिया में 50-60 के दशक से लेकर 80 के दशक तक अपने गीतों की छाप छोड़ने वाले गीतकारों में साहिर लुधियानवी शुमार किए जाते हैं। साहिर एक फिल्मी गीतकार ही नहीं, बल्कि बड़े नगमानिगार और शायर भी थे। उनके गीतों के असर का आलम यह है कि आज भी ये गाए और सुने जाते हैं। साहिर लुधियानवी ने ‘बाजी’, ‘प्यासा’, ‘फिर सुबह होगी’, ‘कभी कभी’ जैसी हिट फिल्मों के लिए गीत लिखे। 44 साल पहले वह हमसे बिछड़ चुके हैं, लेकिन उनके गीत हमारे दिलों में आज भी जिंदा हैं।
माता-पिता में अलगाव के कारण झेलनी पड़ी मुफलिसी
उनकी खासियत को लेकर कहा जाता हैकी 1939 में जब साहिर लुधियानवी गवर्नमेंट कालेज के विद्यार्थी थे तो छात्रों के बीच एक शायर के रूप में स्थापित हो चुके थे।
साहिर लुधिनायवी एक रईस खानदान से ताल्लुक रखते थे, लेकिन माता-पिता में अलगाव होने के कारण साहिर को अपनी माता के साथ मुफ्लिसी में अपना बचपन बिताना पड़ा।
पंजाबी की लेखिका अमृता प्रीतम से प्यार
पढ़ाई के दौरान ही साहिर शायरी करते थे और अमृता प्रीतम भी इनकी शायरी की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं। धीरे-धीरे दोनों में प्रेम हो गया। अमृता प्रीतम के घरवालों को साहिर के साथ उनकी नजदीकियां पसंद नहीं आईं। क्योंकि, अमृता एक रईस परिवार से ताल्लुक रखती थीं और साहिर मुस्लिम होने के साथ-साथ गरीब परिवार से थे।
यह कहा जाता है कि अमृता प्रीतम के पिता के कहने पर साहिर लुधियानवी को कॉलेज से निकाल दिया गया। इससे उनकी तालीम तो अधुरी रह ही गई साथ ही उन्होंने पेट भरने के लिए छोटे-मोटे काम भी करने पड़े।
जीवन में आईं चार महिलाएं
साहिर को पहला फिल्मी ब्रेक 1949 में ही ‘आजादी की राह पर’ फिल्म में मिला। लेकिन, फिल्मी दुनिया में उन्हें पहचान फिल्म ‘नौजवान’ से मिली। माना जाता है कि साहिर लुधियानवी की जिंदगी में चार महिलाएं आईं, अमृता प्रीतम, सुधा मलहोत्रा, महेंद्र कौर और ईश्वर कौर। किसी के साथ उनका प्रेम-प्रसंग अंजाम तक नहीं पहुंचा। हमेशा प्यार के गीत लिखने वाला कालजयी शायर हमेशा प्यार के लिए भटकता रहा।