Yoga and yogasan, Hanuman aasan : आसान और योग का महत्व भारतीय परंपरा में प्राचीन काल से ही समझाया गया है। कृष्ण को योगेश्वर भी कहा जाता है, क्योंकि वह योग के ईश्वर भी हैं। योग का मतलब ही होता है जोड़ना, मिलाना और जीवन को संतुलित तथा समन्वित रूप से समृद्ध बनाना। यह सेहत का ऐसा खजाना है, जो हर प्रकार से किसी का जीवन उन्नत ही नहीं, आध्यात्मिक भाव के साथ आनंदित कर देता है।
बल, बुद्धि और विद्या के देवता
कौन नहीं जानता है कि हनुमान जी श्रीराम के परम भक्त थे। अत्यंत बलशाली और शक्तिशाली थे। भक्ति, नम्रता और शारीरिक बल के साथ संकल्प का योग हनुमान में था। बल, बुद्धि और विद्या का देवता भी उन्हें माना जाता है उनके जीवन की आराधना और शारीरिक अंगों का संचालन करना ही हनुमानासान है। हनुमानासन के अभ्यास से ये हनुमान जी के भीतर की सारी शक्तियों और खूबियों को आत्मसात किया जा सकता है। हनुमान आसन का सबसे बड़ा प्रभाव यह होता है कि इससे गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के समय आसानी होती है। यह आसन पैरों और नितम्बों को लचीला बनाता है। उनमें रक्त-संचार बढ़ाता है। यह पेट के अंगों की मालिश करता है। प्रजनन प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है।
इस विधि का करें पालन
सबसे पहले बाएं घुटने के बल बैठ जाएं। दाएं पंजे को बाएं घुटने के सामने लगभग 30 सेंटीमीटर की दूरी पर रखें। हथेलियों को जमीन पर दाएं पंजे के दोनों ओर रखें। धीरे-धीरे दाएं पंजे को आगे बढ़ाएं। साथ ही शरीर के भार को हाथों के सहारे संभालें। दाएं पंजे को अधिक से अधिक आगे की ओर व बाएं पंजें को अधिक से अधिक पीछे की ओर ले जाते हुए बिना जोर लगाए पैरों को सीधा करने का प्रयास करें। अंत में कूल्हों को नीचे लाएं, जिससे कि कूल्हे और दोनों पैर एक सीध में जमीन पर आ जाएं। आंखें बंद कर लें, शरीर को आराम दें और हाथों को जोड़ते हुए पीछे की ओर लेकर जाएं। अपनी क्षमता के अनुसार इस अवस्था को बनाए रखें। इसका नियमित पालन करें। इस क्रम में कोई परेशानी होने पर योग ट्रेनर की मदद ले सकते हैं।