Jabalpur news : धर्म और अध्यात्म की दृष्टि से भारत पूरी दुनिया में अनोखी विशेषताएं रखता है। विविधता की दृष्टि से सभी राज्यों में सदियों से स्थापित यहां के मंदिरों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं और उनके प्रति लोगों की अटूट आस्था है। ऐसे मंदिरों में मध्य प्रदेश के जबलपुर के संस्कारधानी में स्थापित भगवान शिव और पार्वती की प्रतिमा वाला मंदिर तंत्र-मंत्र का विश्वविद्यालय माना जाता है। हर महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा होती है और इस पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
9वीं शताब्दी में बना है यह मंदिर उपासना का प्रतीक
चौसठ योगिनी मंदिर के रूप में विख्यात इस मंदिर में भगवान शिव और पार्वती के विवाह की प्रतिमा स्थापित है। इस ढंग की देश के किसी मंदिर में यह एकमात्र स्थापित प्रतिमा है। जबलपुर के भेड़ाघाट क्षेत्र में स्थित है, जो नर्मदा नदी के किनारे संगमरमर की चट्टानों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर 9वीं शताब्दी का है। शक्ति उपासना का प्रतीक माना जाता है।
64 योगिनियों की प्रतिमाएं
बताया जाता है कि प्राचीन काल में यहां तंत्र-मंत्र की शिक्षा दी जाती थी। देश-विदेश से साधक इस स्थान पर तंत्र साधना करते थे। आकर इस मंदिर का निर्माण कलचुरी राजाओं ने करवाया था। चौसठ योगिनी मंदिर में 64 योगिनियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। इनमें से वर्तमान में केवल 61 मूर्तियां ही सुरक्षित रह पाई हैं। इन योगिनियों को देवी दुर्गा का रूप माना जाता है। कहा जाता है कि पहले यहां केवल सात मातृकाएं थीं, लेकिन कालांतर में इनकी संख्या 64 हो गई, जिसके कारण इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी मंदिर पड़ा।
मंदिर प्रांगण से देखिए प्रकृति का अद्भुत नजारा
मंदिर के प्रांगण से नर्मदा का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। कहा जाता है कि नर्मदा ने इस मंदिर के लिए अपनी धारा बदली थी। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव और माता पार्वती इस क्षेत्र में भ्रमण कर रहे थे, तब उन्होंने एक ऊंची सी पहाड़ी पर विश्राम करने का निश्चय किया। इस मंदिर में जाने पर भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती के भ्रमण का एहसास होने लगता है।