Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

देखते ही देखते बॉलीवुड में छा गया बिहार का यह मामूली सिंगर…

देखते ही देखते बॉलीवुड में छा गया बिहार का यह मामूली सिंगर…

Share this:

Mumbai news, Bollywood news : फिल्मी दुनिया में संगीत और गायन के क्षेत्र में स्थान बनाना अत्यंत कठिन होता है। बॉलीवुड के मशहूर संगीतकारो और गायकों के सफलता सफर को देखें तो उसमें उनका संघर्ष भी प्रमुख रहा है। बिहार का एक अनजान सा चेहरा बॉलीवुड में जाकर सिंगिंग के क्षेत्र में किस तरह अपना परचम लहराया, यह जानना दिलचस्प है। उस सिंगर का नाम है उदित नारायण। जब बॉलीवुड में उदित नारायण का आना हुआ तो उसे समय मुकेश, रफी और किशोर कुमार का युग समाप्त हो चुका था। कुमार सानू जैसे गायकों का बोलबाला था। इसी दौर में उदित नारायण ने फिल्मी सिंगिंग के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी। ‘जो जीता वही सिकंदर’ फिल्म का गीत ‘पापा कहते हैं बेटा नाम करेगा’ ने उदित नारायण की गायकी किसी श्रेष्ठता का बड़ा संकेत है। सिंगर बनने का सपना लेकर वह मुंबई पहुंचे थे।1980 में उन्हें पहला ब्रेक मिला था। उन्हें ‘उन्नीस बीस’ फिल्म के लिए पहला गाना ‘मिल गया’ गाया था। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

प्रारंभ में 100 रुपए महीने पर किया काम

उदित नारायण अब 70 साल की उम्र के करीब हैं, लेकिन आज भी उनकी आवाज की खान के पहले जैसी है। उदित नारायण का जन्म बिहार के सुपौल जिले बायसगोंठ गांव में मैथिल ब्राह्मण परिवार में एक नेपाली नागरिक हरेकृष्ण झा और एक भारतीय नागरिक भुवनेश्वरी झा के घर हुआ था। उनके पिता हरेकृष्ण झा एक किसान थे और उनकी मां भुवनेश्वरी देवी एक लोक गायिका थीं, जिन्होंने उनके करियर को प्रोत्साहित किया।  बॉलीवुड में उनका आगमन 1980 में हुआ था। उन्होंने एक फेमस सिंगर बनने के लिए काफी संघर्ष किया। उन्होंने मुंबई में 100 रुपये महीने में भी काम किया। बाद में उन्हें सिंगिंग के क्षेत्र में कई नेशनल अवार्ड, फिल्म फेयर अवार्ड मिलने के साथ पद्मभूषण से भी नवाजे जाने का गौरव हासिल हुआ।

पत्नी दीपा ने खूब किया प्रोत्साहित

उदित नारायण बताते हैं कि उन्हें नेपाल में एक प्रोग्राम में मैथिली गाना गाने का मौका मिला। वहां उनके गाने को सुनकर कुछ लोगों ने रेडियो पर गाने की सलाह दी। 1971 में पहली बार काठमांडू रेडियो पर गाने का मौका मिला, जो कि उनके करियर के लिए यादगार साबित हुआ। ‘सुन-सुन-सुन पनभरनी गे तनी घुरीयो के ताक’ गीत मैंने गाया,जो श्रोताओं को काफी पसंद आया और धीरे-धीरे नेपाल के संगीत के क्षेत्र में कदम बढ़ता चला गया।नेपाल में मिली उनकी महिला मित्र दीपा जो की अब उनकी पत्नी बन गई, उन्होंने उदित नारायण का बहुत साथ दिया। उन्हें हर मोड़ पर प्रोत्साहित किया।

Share this: